Kartik Maas: कार्तिक मास भगवान विष्णु का प्रिय मास माना जाता है. इस महीने में पवित्र नदियों में स्नान का बहुत महत्व है. कार्तिक स्नान की शुरुआत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है, जो कार्तिक पूर्णिमा के साथ समाप्त होता है. इस वर्ष कार्तक माह शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2024 से शुरू होकर 15 नवंबर को समाप्त होगा. कार्तिक मास का पूरा महीना स्नान और दान के लिए समर्पित है और सूर्योदय से पहले स्नान करना, कार्तिक में आंवला और तुलसी का दान करना लाभकारी होता है, कई यज्ञ करने के पुण्य के लिए कार्तिक माह को सर्वोत्तम माना जाता है. साथ ही इस माह में गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है. मान्यता है कि पूरे कार्तिक के महीने में सूर्योदय से पहले उठकर नदी या तालाब में स्नान करने के बाद दीपदान करने से वैकुंठलोक की प्राप्ति होती है.
आपको बता दें कि 17 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 56 मिनट पर कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा तिथि शुरू होने के साथ ही कार्तिक मास की शुरुआत हो गई है. यह तिथि शुक्रवार, 18 अक्टूबर को दोपहर 1:15 बजे समाप्त होगी. उदय तिथि के अनुसार 18 अक्टूबर को कार्तक मास की शुरुआत मानी जाएगी. 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के साथ कार्तिक मास समाप्त हो जाएगा. काॢतक मास के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:24 बजे से दोपहर 01:26 बजे तक है.
Kartik Maas दीपदान क्यों किया जाता है?
कार्तिक माह में दीपदान करना बहुत शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि कार्तक माह में आकाश का सबसे बड़ा ग्रह सूर्य अपने से नीचे की राशि तुला में प्रवेश करता है, जिससे वातावरण में अंधकार फैल जाता है. यही कारण है कि इस माह में दीपदान, जप, तप, दान और स्नान का विशेष महत्व है. अगर किसी विशेष कारण से आप कार्तिक माह में प्रतिदिन दीप दान नहीं कर पाते हैं तो आपको कार्तिक के विशेष दिन यानि कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपक जलाना चाहिए.
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