रायपुर। हर सुहागन स्त्री के लिए करवा चौथ का व्रत सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है. करवा चौथ भारत के पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान का त्यौहार है. यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. इस पर्व को सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र और गृहस्थ जीवन में सुख की कामना के लिए मनाती हैं. यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले करीब ४ बजे के बाद शुरू होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद संपूर्ण होता है.

प्यार और आस्था के इस पर्व पर सुहागिन स्त्रियां पूरा दिन उपवास रखकर भगवान से अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. इस साल यह व्रत 17 अक्टूबर को हैं.  करवा चौथ ‘शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है,’करवा’ यानी ‘मिट्टी का बरतन’ और ‘चौथ’ यानि ‘चतुर्थी ‘.पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है. करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अ‌र्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है. वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव ज्यादातर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं.कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान है. इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है. स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है.

करवा चौथ का व्रत इसबार है बेहद खास

इसबार का करवा चौथ का व्रत बेहद खास रहने वाला है क्योंकि 70 साल बाद करवा चौथ पर शुभ संयोग बन रहा है. ज्योतिषियों के अनुसार, रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा में रोहिणी का योग होने से मार्कण्डेय ओर सत्याभामा योग भी बन रहा है. पहली बार करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए यह व्रत बहुत अच्छा है.

करवा चौथ पर्व तिथि व मुहूर्त

  • करवा चौथ  17 अक्तूबर 2019
  • करवा चौथ पूजा मुहूर्त- 17:46 से 19:02
  • चंद्रोदय- 20:20
  • चतुर्थी तिथि आरंभ- 06:48 (17 अक्तूबर)
  • चतुर्थी तिथि समाप्त- 07:28 (18 अक्तूबर)

करवा चौथ पूजन विधि

  • सुबह-सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें.
  • संकल्प लेने के लिए इस मंत्र का जाप करें
    ‘‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये कर्क चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये’
  • घर के मंदिर की दीवार पर गेरू से फलक बनाएं और चावल को पीसकर उससे करवा का चित्र बनाएं. इस रीति को करवा धरना कहा जाता है.
  • शाम को मां पार्वती और शिव की कोई ऐसी फोटो लकड़ी के आसन पर रखें, जिसमें भगवान गणेश मां पार्वती की गोद में बैठे हों.
  • कोरे करवा में जल भरकर करवा चौथ व्रत कथा सुनें या पढ़ें.
  • मां पार्वती को श्रृंगार सामग्री चढ़ाएं या उनका श्रृंगार करें. इसके बाद मां पार्वती भगवान गणेश और शिव की अराधना करें.
  • चंद्रोदय के बाद चांद की पूजा करें और अर्घ्य दें.इसके बाद पति के हाथ से पानी पीकर या निवाला खाकर अपना व्रत खोलें. पूजन के बाद अपने सास-ससूर और घर के बड़ों का आर्शीवाद जरूर लें.