सुहागिनों का सबसे महत्वपूर्ण व्रत में से एक “करवा चौथ” का व्रत माना जाता है. संकल्प शक्ति का प्रतीक और अखंड सौभाग्य की कामना का व्रत करवा चौथ है. सौभाग्यवती स्त्रियां करवा चौथ का व्रत पति की दीर्घ आयु, स्वास्थ्य और मंगल कामना के लिए करती है. यह व्रत कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है. इस दिन को करक चतुर्थी भी कहा जाता है. करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को विवाहित महिलाओं की ओर से किया जाता है. वहीं अविवहित लड़कियों की शीघ्र शादी के लिए भी की जाती है.

माना जाता है कि इससे मनचाहा जीवनसाथी मिलता है. मिट्टी के कलशनुमा पात्र के मध्य में लम्बी गोलाकार छेद के साथ डंडी लगी रहती है. इस करक या करवा पात्र को श्री गणेश का स्वरूप मान कर दान से सुख, सौभाग्य (सुहाग), अचल लक्ष्मी और पुत्र की प्राप्ति होती है. यह भी मान्यता है कि करक दान से सब मनोरथों की प्राप्ति होती है. Read More – द कश्मीर फाइल्स के बाद अब विवेक अग्निहोत्री लाने वाले हैं नई फिल्म Parva, कहानी महाभारत पर होगी आधारित …

करवा चौथ के लिए पूजन सामग्री

पूजन सामग्री, धूप, दीप, कपूर, रोली, चन्दन, सिन्दूर, काजल, चावल की पीठी, पूजन सामग्री थाली में दाहिनी ओर रखें. सम्पूर्ण पूजन तक दीपक प्रज्ज्वलित रहेम ऐसा घी का दीपक बनायें. नैवेद्य के लिये खीर, पुआ, पूर्ण फल, सूखा मेवा, मिठाई, पूरी और गुड का हलवा, प्रसाद एवं विविध व्यञ्जन थाली में सजा कर रखें.

पुष्प

पुष्प एवं पुष्पमाला थाली में दाहिनी ओर रखें.

जल के लिये 3 पात्र

  1. आचमन के जल के लिये छोटे पात्र में जल भर कर रखें. साथ में एक चम्मच भी रखें.
  2. हाथ धोने का पानी इस रिक्त पात्र में गिरे.
  3. विनियोग के पानी के लिये बडा पात्र जल भर कर रखें.

चन्द्रमा

चन्द्रमा का चित्र अग्निकोण में स्थापित करें. चावल को भिगो कर पीस लें, उसके बाद पिसे चावल का एक गोल आकार बनायें, चापल की पीठी से ५ लम्बी लम्बी डंडियाँ बनावें. गोलाकार चन्द्र के ऊपर पूर्व से पश्चिम तक ४ डंडियां लगायें. पाँचवी डंडी थोडी चौडी बनायें, इसकी आकृति चौथ के चाँद के समान होनी चाहिये . इसे उत्तर से दक्षिण की तरफ लगायें .

श्री चन्द्र अर्क/अर्घ्य

श्री चन्द्र देव भगवान शंकरजी के भाल पर सुशोभित हैं. इस कारण श्री चन्द्रदेवजी की आराधना उनका पूजन एवं अर्क देकर सम्पन्न की जाती है. अत: चन्द्र स्तुति, पूजन और आराधना विशेष फलदायी होती है.

सुहाग की सामग्री

मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, बाजार में उपलब्ध सुहाग पुड़ा.

पंचामृत के लिए जरूरी

घी, दही, शक्कर, दूध, शहद.

सौभाग्य का पर्व ‘करवा चौथ’

सौभाग्यवती स्त्रियां नए लाल वस्त्र पहनें. हाथों में मेहंदी लगाएं. सोलह श्रृंगार करें. शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और मां पार्वती जी की पूजा शुरू करें. शिव-पार्वती की मूर्तियों का विधिवत पूजन करें. करवा चौथ की कथा सुनें. माता पार्वती पर सुहाग का सारा सामान चढ़ाएं. Read More – Karwachauth 2023 : करवाचौथ पर चाहिए साफ ग्लोइंग Skin, तो अभी से लगाना शुरू करें मेथी दाना का मास्क …

‘करवा चौथ’ पूजन विधि

  • व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद इस संकल्प को करें- ‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये.’
  • घर के दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्र बनाएं. इसे वर कहा जाता है. चित्र बनाने की कला को करवा धरना कहा जाता है.
  • आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और पक्के पकवान बनाएं.
  • पीली मिट्टी से गौरी बनाएं साथ ही गणेश को बनाकर गौरी के गोद में बिठाएं.
  • गौरी को लकड़ी के आसन पर बिठाएं. चौक बनाकर आसन को उस पर रखें. गौरी को चुनरी ओढ़ाएं. बिंदी आदि सुहाग सामग्री से गौरी का श्रृंगार करें.
  • जल से भरा हुआ लोटा रखें.
  • भेंट देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें. करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें. उसके ऊपर दक्षिणा रखें.
  • रोली से करवा पर स्वस्तिक बनाएं.
  • गौरी-गणेश और चित्रित करवा की परंपरानुसार पूजा करें. पति की दीर्घायु की कामना करें.
  • ‘नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्‌। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥’
  • करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें.
  • कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपनी सासुजी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें.
  • तेरह दाने गेहूं के और पानी का लोटा या टोंटीदार करवा अलग रख लें.
  • रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें.
  • इसके बाद पति से आशीर्वाद लें. उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें.

करवा चौथ को लेकर मान्यता

  • विधिपूर्वक से व्रत करने पर मन के मुताबिक मिलता है पति.
  • दांपत्य जीवन में रहती है खुशी बरकरार.
  • मेहंदी लगाने और झूला-झूलने की है प्रथा.
  • सुहाग और सौभाग्य का पर्व है ‘करवा चौथ’.
  • व्रत करने से दांपत्य जीवन में खुशी बरकरार रहती है.