कसडोल- कसडोल विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रही है. कुछ वर्षों को छोड़ दें तो जनता यहां कांग्रेस को ही जीताती आई है. 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर गौरीशंकर अग्रवाल ने अपनी जीत दर्ज कराई थी. इस बार भी 2018 के विधानसभा चुनाव में कसडोल सीट पर सभी की नज़रे टिकी हुई है क्योंकि इतने सालों के इतिहास में पहली बार इस सीट पर महिला प्रत्याशी को टिकट दिया गया. जाति समीकरण को भुनाते हुए बीजेपी को अपने दांव में फंसा कर कांग्रेस ने साहू समाज से महिला प्रत्याशी को मैदान पर उतारा है. कांग्रेस का यह दांव बीजेपी पर कितना भारी पड़ेगा आईए देखते हैं-
कौन कौन है मैदान में-
बीजेपी- गौरीशंकर अग्रवाल
कांग्रेस- शकुंतला साहू
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी- परमेश्वर यदू
बसपा- रामेश्वर कैवर्त्य
2013, कसडोल विधानसभा सीट (सामान्य)
गौरीशंकर अग्रवाल, बीजेपी, कुल वोट मिले 96629
राजकमल सिंघानिया, कांग्रेस, कुल वोट मिले 70701
मतदाता-
कुल मतदाता- 3,25,304
महिला मतदाता- 1,60,479
पुरूष मतदाता- 1,64,986
क्या है जनता का स्थानीय मुद्दा-
- स्वास्थ्य का मुद्दा- कसडोल में अस्पताल की कमी नहीं, कमी है तो डॉक्टरों की. क्षेत्र के लोगों को बेहतर इलाज के लिए रायपुर आना पड़ता है
- रोजगार का मुद्दा- इस क्षेत्र के युवा रोजगार के लिए पलायन कर रहे हैं क्योंकि कसडोल में रोजगार के साधनों का अभाव है.
- सिंचाई व्यवस्था का खस्ता हाल- 15 साल पहले शुरू हुए समोदा डायवर्सन का काम अब तक पूरा नहीं हो पाया है जिससे किसान सिंचाई सुविधा से वंचित है. पानी की कमी के चलते कृषि प्रधान इस क्षेत्र को राज्य ने सूखा ग्रस्त घोषित किया था.
- शिक्षा का गिरता ग्राफ- स्कूल, कॉलेजों में शिक्षकों का अभाव है पढ़ाई के क्षेत्र में यहां की स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं है.
जातिगत समीकरण-
जातिगत समीकरण की अगर बात की जाए तो 2013 के विधानसभा चुनाव तक यहां जाति समीकरण का कुछ खास प्रभाव देखने को नहीं मिलता था, लेकिन वर्तमान चुनाव में यहां कांग्रेस ने साहू समाज की महिला प्रत्याशी को टिकट दिया है. जिससे जाति समीकरण ने यहां अपने पैर पसार लिए हैं. यहां जातियों की अगर बात की जाए तो पहले नंबर पर साहू समाज है. तो दूसरे नंबर पर सतनाम समाज का बोलबाला है. तो वहीं तीसरे नंबर पर अन्य समाज आते है.
क्या कहता है समीकरण-
इस बार चुनाव में कसडोल सीट पर बाहरी बनाम स्थानीय का मुद्दा जोरों पर है. कांग्रेस की शकुंतला साहू कसडोल की ही निवासी है. जो बीजेपी प्रत्याशी गौरीशंकर अग्रवाल को कड़ी टक्कर दे रही हैं.
बीजेपी- बीजेपी की अगर बात करें तो बीजेपी ने यहां से गौरी शंकर अग्रवाल को टिकट दिया है. आपको बता दें कि गौरीशंकर अग्रवाल 2013 का विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. 1998 के बाद 2013 चुनाव में गौरीशंकर अग्रवाल ने इस सीट में बीजेपी का खाता खोला था. इस सीट पर विधायक रहते हुए गौरी शंकर ने यहां विकास के कई कार्य किए. पिछले 5 सालों में कसडोल विधानसभा में सड़क, बिजली, पानी और शिक्षा के क्षेत्र में विकास के कार्य हुए हैं. इसके अलावा गौरीशंकर अग्रवाल बीजेपी का बड़ा चेहरा हैं और वोट हासिल करने के लिए इन्हे जाति समीकरण पर दांव लगाने की जरूरत नहीं.
कांग्रेस- कांग्रेस की दावेदारी पर नज़र डालें तो कांग्रेस ने बीजेपी का तख्ता पलट करने की पूरी तैयारी कर ली है. महिला प्रत्याशी को टिकट देकर कांग्रेस ने एक बड़ा खेल खेला है. साहू समाज की महिला प्रत्याशी को टिकट देकर कांग्रेस साहू समाज के वोट साधना चाहती है. इसके अलावा हाल ही में सतनामी समाज के गुरू बालदास कांग्रेस में शामिल हुए है. आपको बता दें कि कसडोल में वोटर्स की लिस्ट में बड़ी संख्या में सतनामी मतदाता आते है, इससे सतनामी समाज के वोट भी कांग्रेस, जनता कांग्रेस जोगी और बसपा से झटक सकती है. वर्तमान परिस्थितियों पर नज़र डाले तो कांग्रेस की पांचों उंगलियां घी में दिखाई दे रहीं.
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी और बसपा- जनता कांग्रेस ने परमेश्वर यदू को कसडोल से अपना प्रत्याशी बनाया है. परमेश्वर यदू बीजेपी में रह चुके है और कुछ महीने पहले ही वे जनता कांग्रेस जोगी में शामिल हुए. परमेश्वर यदू की बात करे तो ये भी स्थानीय प्रत्याशी हैं और इनकी भी पकड़ पिछड़े वर्ग में ज्यादा मानी जाती है. तो वहीं बसपा से रामेश्वर कैवर्त्य को टिकट दिया गया है. जकांछ और बसपा के गठबंधन के बावजूद दोनों ही पार्टीयों ने इस सीट पर अपने-अपने प्रत्याशियों को उतारा है जिससे वोटों का बंटवारा होना तय है और वोटों के इस बंटवारे का सीधा लाभ कांग्रेस को मिल सकता है.
हालांकि जीत हार का फैसला तो जनता ही तय करती है अब चुनावी नतीजे ही बता पाएंगे कि जनता ने किसे इस सीट पर जीत का ताज पहनाया है.