कटिहार। शहर के नारायणपुर गांव में एक ऐसी दर्दनाक घटना सामने आई है जिसने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि तानों और शक की आग आखिर किसी परिवार को कितना भीतर तक जला सकती है। सामाजिक ताने रंग को लेकर भेदभाव और रिश्तों में पनपी गलतफहमी ने एक खुशहाल घर को मिनटों में बर्बाद कर दिया। आजमनगर थाना क्षेत्र के जालकी गांव का 35 वर्षीय सुकुमार दास अपनी दूसरी औलाद के जन्म के बाद बेहद खुश था। लेकिन यह खुशी ज्यादा दिन टिक नहीं पाई। पहला बेटा सांवले रंग का था ठीक अपने पिता की तरह। लेकिन दूसरा बेटा गोरा पैदा हुआ। बस इसी बात को पड़ोसियों ने मजाक और ताने का जरिया बना लिया। तेरा रंग काला… बेटा इतना गोरा कैसे?
इन चुभते सवालों ने सुकुमार के मन में धीरे-धीरे शक का जहर घोल दिया। पत्नी मौसमी दास ने बार-बार भरोसा दिलाया कि बच्चा उसी का है लेकिन पड़ोसियों द्वारा बोए गए शक के बीज लगातार गहरे होते चले गए।

मायके में भी नहीं रुकी कलह

तनाव बढ़ने पर मौसमी अपने मायके नारायणपुर गांव चली गई उम्मीद थी कि माहौल शांत हो जाएगा। परिजनों ने भी सुकुमार को समझाने की कोशिश की। बावजूद इसके दोनों के बीच लगातार झगड़े होते रहे। सुकुमार वहीं ठहर गया लेकिन मन का तूफान शांत नहीं हुआ।

आधी रात का खौफनाक फैसला

रात का भोजन करने के बाद सब सो गए। लेकिन इसी दौरान शक से अंधे हो चुके सुकुमार ने धारदार हथियार से अपनी पत्नी की हत्या कर दी। अगली सुबह बच्चों के रोने की आवाज सुनकर जब परिजन कमरे में पहुंचे तो मौसमी खून से लथपथ पड़ी थी।