पंकज सिंह भदौरिया, दन्तेवाड़ा। 80 साल की कटियानी बाई का हौसला और जज्बा देखकर हर कोई दंग रह जाता है. मेहनत और लगन की जीती जागती मिसाल पेश करने वाली ये बुजुर्ग महिला धुर नक्सली इलाके दंतेवाड़ा की रहने वाली है.
गीदम नाके के पास हर रोज कटियानी बाई पेड़ के नीचे बैठ चटाई बनाने का काम करती हैं. भले ही उनके हाथों में झुर्रिया पड़ गई हों लेकिन उम्र के इस पड़ाव में भी उनका काम जारी है.जानकारी लेने पर पता चला कि हफ्तेभर मेहनत कर एक चटाई तैयार होती है जिसकी कीमत 100 से 150 रुपये मिलती है.
अक्सर उम्र के इस पड़ाव मे लोगों की हिम्मत टूट जाती है.फिर भी कटियानीबाई बुजुर्ग होते हुये भी छिंद पेड़ो के पत्तो से दिन दिनभर बुनकर 1 चटाई तैयार करती हैं. नारी शसक्तीकरण की इससे बड़ी और क्या मिशाल होगी.
भीख मांगने से बेहतर श्रम है जो सीख 80 वर्ष की बुजुर्ग महिला कटियानी बाई दे रही है. उसे तमाम उन लोगो को सीखना चाहिये जो आलस के वशीभूत होकर सक्षम और स्वस्थ्य होने के बावजूद हाथों में कटोरा पकड़ लेते है.
हालांकि कटियानी बाई ने इतना ही बताया कि मैं अकेले हूँ. 6 महीनों से मैं चटाई ही बनाती हूँ हफ्तेभर में एक चटाई बन जाती है कोई 100 रुपये दे देता तो कोई ग्राहक 150 रुपये दे देता है। जिससे गुजर बसर हो जाती है. इसके अलावा उन्होंने अपने बुढ़ापे के उन सहारो के बारे में कुछ नही बताया जिनके बीच से जीवन गुजारकर वे आज यहां तक पहुंची है.