वीरेंद्र कुमार/नालंदा। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के सांसद कौशलेंद्र कुमार अपने बाबरी मस्जिद संबंधी बयान को लेकर एक बार फिर चर्चा में हैं। पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद निर्माण को लेकर दिए गए उनके पुराने बयान के बाद राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली थी। उन्होंने टीएमसी से निष्कासित विधायक हुमायूं कबीर के समर्थन में यह कहा था कि यदि पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद का निर्माण हो रहा है और वह संविधान के दायरे में है तो उसे गलत नहीं ठहराया जा सकता। यह बयान मीडिया में प्रमुखता से प्रसारित हुआ जिसके बाद विवाद गहराता चला गया।

विवाद के बाद दी सफाई

बयान पर मचे घमासान के बीच सांसद कौशलेंद्र कुमार ने अब सफाई देते हुए अपने रुख में बदलाव किया है। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान सभी नागरिकों को अपने-अपने धर्म का पालन करने की पूरी स्वतंत्रता देता है। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि पश्चिम बंगाल में कोई धार्मिक निर्माण हो रहा है, तो उसकी चर्चा बिहार में क्यों की जानी चाहिए।

संविधान सर्वोपरि, धर्म निजी मामला

सांसद ने आगे कहा कि कोई भी जनप्रतिनिधि शपथ लेते समय संविधान के अनुसार कार्य करने का संकल्प लेता है और देश की पूरी व्यवस्था उसी आधार पर चलती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह व्यक्तिगत रूप से राम मंदिर के पक्षधर है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि वे किसी अन्य धर्म या समुदाय के विरोधी हैं।

राजनीतिक संतुलन साधने की कोशिश?

कौशलेंद्र कुमार ने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल में कितनी भी बाबरी मस्जिदें बने उस पर टिप्पणी करने से उन्हें कोई राजनीतिक लाभ नहीं है। उन्होंने जोर दिया कि सभी नागरिक संविधान की सीमा के भीतर रहकर अपने धर्म का पालन करें। उनके बदले हुए रुख को राजनीतिक संतुलन साधने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।