रायपुर। वनमंत्री मोहम्मद अकबर ने कोरबा में 25 दिन से बीमार हाथी की मौत पर दुख जताया है। उन्होने कहा कि अफसोस की बात है कि हाथी को बचाने में एड़ी चोटी का जोर लगाने के बाद भी वो नहीं बच पाया। अकबर ने हाथी को ठीक करने के लिए श्रेष्ठ स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराईं गईं। दुनिया के नामचीन हाथी एक्सपर्ट की सेवाएं ली गईं। जो विभाग की हाथियों के प्रति संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
गौरतलब है कि कोरबा में 25 दिन से बीमार हाथी की आज मौत हो गई। इस मौत पर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने लगातार हाथियो की मौत पर चिंता जताई थी। कौशिक ने कहा है कि हाथियों के संरक्षण में प्रदेश सरकार नाकाम रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वन अमला भी इस दिशा में सही काम नहीं कर पा रहा है। जिसके चलते हाथियों की लगातार मौतें हो रही हैं। उन्होंने कहा कि इस पूरे मसले पर प्रदेश सरकार को गंभीरता से कठोर कदम उठाते हुए दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पूरे मसले पर सरकार को उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर जांच करनी चाहिए ताकि स्पष्ट हो सके कि आखिरकार इन हाथियों की मौत के पीछे की वजह क्या है ? ताकि पता चल सके कि संदिग्ध परिस्थितियों में हाथियों की मौतें कैसे लगातार हो रही है।
अकबर ने धरमलाल कौशिक के हाथी की मौत पर लगे आरोपो को मनगढंत और बेबुनियाद करार दिया। उन्होंने कहा कि हाथियों की मौत पर उन्होंने जो करवाई की है, वैसी करवाई डॉक्टर रमन सिंह ने 15 साल के कार्यकाल में नहीं की है। उन्होनें कहा कि कौशिक का हाथी प्रेम तब कहाँ था जब रमन सिंह की सरकार लेमरू का फ़ाइल बरसो दबा कर रखी हुई थी। कौशिक अगर हाथियों को लेकर गंभीर हैं तो बताएं जब प्रस्तावित लेमरु प्रोजेक्ट के अंदर भारत सरकार ने कोल ब्लॉक की नीलामी की घोषणा की तो उन्होंने क्या किया। उन्होंने कहा कि कौशिक का अचानक उमड़ा हाथी प्रेम नकली है।
दूसरी तरफ़, अकबर ने कहा कि हाथी जब से बीमार होकर आया था। तब से उसे सबसे बेहतर इलाज दिया जा रहा था। किंतु तमाम कोशिश के बाद भी उसके बचाया नहीं जा सका। अकबर ने कहा कि जब ये हाथी गांव में आया था तब वो बेहद बीमार था। इसके बीमार होने की खबर पाकर वन विभाग का पूरा अमला मौके पर पंहुचा और उसका इलाज शुरू हुआ। पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ समेत दूसरे वरिष्ठ अधिकारी वहां कई रात डटे रहे। हाथी को ग्लूकोस दिया गया, दलिया खिलाया गया। हाथी के पेट मे जब खाना गया तो उसके पेट से बड़े-बड़े कीड़े निकले। तत्काल उसका डीवर्मिंग करते हुए इल्ज जारी रखा गया। उसे लगातार दलिया, कोमल पत्ते और फीड सपलिनेंट्स दिये जा रहे थे जिससे वो ठीक हो।
लेकिन हाथी की सेहत सुधरने के बाद भी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पा रहा था। उसे कई-कई दिन क्रेन के सहारे खड़ा करने की कोशिश की गई लेकिन वो खड़ा नहीं हो पाया। उसकी देखरेख में लगातार वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारी लगे रहे। वो ठीक हो जाये इसलिए वन विभाग ने हाथी के नामचीन एक्सपर्ट डॉक्टर अरुण और डॉक्टर प्रसाद को भी बुलाया। उसके इलाज में वन विभाग ने कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन तमाम कोशिशों के बाद हाथी को बचाया नहीं जा सका।