कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने शनिवार को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार पर तीखा हमला बोला और उन पर अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया. यह विवाद तब शुरू हुआ जब एक वायरल वीडियो में अजित पवार को एक महिला अधिकारी के साथ कथित तौर पर डांटते हुए सुना गया.
केसी वेणुगोपाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अवैध रेत खनन पर नकेल कसने की अपनी जिम्मेदारी निभा रही आईपीएस अंजना कृष्णा से जिस अहंकारी लहजे में बात की, उससे पता चलता है कि सत्तारूढ़ एनडीए के सदस्य अपनी ताकत के नशे में कितने चूर हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “यह इस बात का एक सटीक उदाहरण है कि सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों का अहंकारी रवैया कैसे नीचे तक फैल जाता है. भ्रष्ट गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए एक अधिकारी की सराहना करने के बजाय अजित पवार ने उसे फटकार लगाना और उसके प्रयासों में बाधा डालना उचित समझा.” केसी वेणुगोपाल ने कहा, “उनकी (अजित पवार) सफाई भी सिर्फ ‘छवि बचाने की कोशिश’ है. उन्होंने अपने असभ्य और अनुचित व्यवहार के लिए माफी तक नहीं मांगी है.”
यह विवाद उस वक्त शुरू हुआ जब एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें अजित पवार और महिला पुलिस अधिकारी अंजना कृष्णा के बीच तीखी बातचीत होती दिख रही है. वीडियो में पवार एक स्थानीय एनसीपी कार्यकर्ता के फोन से अधिकारी को कॉल कर अवैध खनन पर कार्रवाई रोकने का निर्देश देते नजर आए थे. वीडियो में महिला अधिकारी फोन पर बात कर रही थीं, जिसमें सामने से बताया गया कि वे उपमुख्यमंत्री अजित पवार हैं. उन्होंने महिला अधिकारी को डांटते हुए उनके खिलाफ एक्शन लेने की बात भी कही थी. हालांकि, बाद में अजित पवार ने कहा कि उनका इरादा कानून प्रक्रिया में दखल देने का नहीं था, बल्कि यह सुनिश्चित करना था कि स्थिति और न बिगड़े.
IPS अंजना कृष्णा के सर्टिफिकेट्स की जांच की मांग
NCP (अजित पवार गुट) के महाराष्ट्र विधान परिषद सदस्य अमोल मिटकरी ने IPS अधिकारी अंजना कृष्णा के दस्तावेजों की जांच UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) से कराने की मांग की है। मिटकरी ने यह कदम उपमुख्यमंत्री अजित पवार से जुड़े वायरल वीडियो विवाद के बाद उठाया। उन्होंने 5 सितंबर, 2025 को यूपीएससी, नई दिल्ली के सचिव को इस संबंध में पत्र लिखा है।
एनसीपी (अजित पवार गुट) के महाराष्ट्र विधान परिषद सदस्य अमोल मिटकरी ने IPSअधिकारी अंजना कृष्णा के दस्तावेजों की प्रामाणिकता पर संदेह जताते हुए यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) से विस्तृत जांच कराने की मांग की है। मिटकरी ने 5 सितंबर, 2025 को UPSC के सचिव को लिखे पत्र में कहा कि अंजना कृष्णा द्वारा प्रस्तुत शैक्षिक प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र और अन्य दस्तावेजों की सत्यता की पुष्टि आवश्यक है। उन्होंने सुझाव दिया कि वेरिफिकेशन के बाद यूपीएससी को अपने नतीजे संबंधित विभागों के साथ साझा करने चाहिए।
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