सभी ग्रह सूर्यदेव की परिक्रमा करते हैं. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सूर्य का नेत्रों, हृदय और हड्डियों पर प्रभाव पड़ता है. आत्मिक बल, धैर्य, स्वास्थ्य के अधिकारी भगवान सूर्य हैं. सूर्य के कमजोर होने पर दुर्बलता, मानसिक अशांति, हृदय रोग और नेत्र सम्बन्धी रोगों की संभावना बन सकती है. 17 अक्टूबर को सूर्य का राशि परिवर्तन तुला राशि में हो गया है.
ऐसी स्थिति में यदि सूर्य यंत्र का विधि-विधान पूर्वक पूजन किया जाए तो शुभता में वृद्धि होती है. सूर्य मजबूत और शुभ स्थिति में होने पर विशिष्ट पद दिलाता है. इस यंत्र की स्थापना रविवार या किसी शुभ मुहूर्त में की जा सकती है.
ये है विधि-
सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर सफेद वस्त्र धारण करने चाहिएं. यंत्र स्थापना से पहले सूर्य यंत्र को गंगाजल और गाय के दूध से पवित्र कर लेना चाहिए. पूर्व दिशा की ओर मुंह कर बैठना चाहिए और पीला रेशमी वस्त्र बिछाकर उस पर सूर्य यंत्र स्थापित करना चाहिए.
सूर्य यंत्र पर चंदन, केसर, सुपारी और लाल पुष्प अर्पित करें. इसके बाद ‘ऊं घृणि सूर्याय नम:’ मंत्र की सात माला जाप करें. इस यंत्र को पूजा स्थान में ही स्थापित रहने दें और प्रतिदिन इसकी पूजा करें. संभव हो तो उपरोक्त मंत्र की एक माला रोज जाप करें.
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