नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि वह स्थानीय प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पूर्ण लॉकडाउन जैसे कदम उठाने के लिए तैयार है, जिससे राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी. हालांकि, दिल्ली सरकार का मानना है कि इसका सीमित प्रभाव पड़ेगा. अपने हलफनामे में दिल्ली सरकार ने कहा कि “जीएनसीटीडी स्थानीय उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए टोटल लॉकडाउन जैसे कदम उठाने के लिए तैयार है. हालांकि, ऐसा कदम सार्थक होगा, अगर इसे पड़ोसी राज्यों में एनसीआर क्षेत्रों में लागू किया जाता है. दिल्ली के कॉम्पैक्ट आकार को देखते हुए लॉकडाउन का वायु गुणवत्ता व्यवस्था पर सीमित प्रभाव पड़ेगा.”
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सरकार ने कहा कि इस मुद्दे को एनसीआर क्षेत्रों से जुड़े एयरशेड के स्तर पर संबोधित करने की जरूरत होगी. दिल्ली सरकार ने अब तक उठाए गए कदमों को सूचीबद्ध करते हुए कहा कि इस सप्ताह स्कूलों में कोई फिजिकल कक्षाएं नहीं आयोजित की जाएंगी और सरकारी अधिकारी घर से काम करेंगे और निजी कार्यालयों को भी अपने कर्मचारियों के लिए घर से काम करने की सलाह दी गई है. हलफनामे में कहा गया है कि 17 नवंबर तक सभी निर्माण और विध्वंस गतिविधियां तत्काल प्रभाव से बंद रहेंगी.
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13 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में गंभीर वायु प्रदूषण पर गंभीरता से विचार किया और सुझाव दिया कि अगर जरूरी हो, तो सरकार प्रदूषण के स्तर को नीचे लाने के लिए दो दिनों के लॉकडाउन की घोषणा कर सकती है, जो कि पराली जलाने, वाहनों, पटाखे, उद्योग और धूल के कारण उत्पन्न हुई है. शुरुआत में मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि ‘स्थिति बहुत खराब है .. घर में हम मास्क पहने हुए हैं, यह एक बुरी स्थिति है.’
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