नई दिल्ली। केजरीवाल सरकार का लक्ष्य है कि 2047 तक दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय सिंगापुर के बराबर पहुंच जाए. पिछले 6 सालों में दिल्ली की विकास दर 11-12% पहुंच चुकी है. दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय भी पूरे देश की तुलना में 3 गुणा ज्यादा है, साथ ही देश की जीडीपी में दिल्ली का योगदान 4.4% है. ये सब बातें उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सोमवार देर शाम केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित एक वर्चुअल बैठक में कही. इस बैठक में देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर करने और राज्यों में विकास की रफ्तार को तेज करने को लेकर चर्चा की गई.

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मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली के चहुंमुखी विकास में दिल्ली सरकार के पास जमीन का न होना सबसे बड़ी चुनौती है. केंद्र सरकार से अपेक्षा है कि इस मामले में वो दिल्ली सरकार का सहयोग करें. इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री ने साझा किया कि दिल्ली देश के सबसे तेजी से बढ़ते राज्यों में से एक है और सरकार दिल्ली में एक प्रोग्रेसिव बिज़नेस एनवायरनमेंट बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. दिल्ली में पिछले 5-6 सालों में विकास दर 11-12% रही है और नेशनल जीडीपी में दिल्ली का योगदान 4.4% रहा है, जबकि दिल्ली की आबादी देश की आबादी की केवल 1.49% है, इसलिए दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय 3 लाख 54 हज़ार है, जो देश के प्रति व्यक्ति आय का तीन गुणा है. उन्होंने कहा कि हम दिल्ली के विकास के लिए योजना बना रहे हैं. हमारा टारगेट है कि 2047 में जब हम देश की आजादी की 100वीं सालगिरह मना रहे होंगे, तब दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय सिंगापुर में तब के प्रति व्यक्ति आय के बराबर पहुंच जाए.
इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर कर रही है दिल्ली सरकार
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली के जीडीपी में सर्विस सेक्टर का योगदान 85% है. उन्होंने कहा कि हम दिल्ली के विकास के लिए कई मुद्दों पर काम कर रहे हैं, जिसमे केंद्र का सहयोग अपेक्षित है. सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में 29 प्लांड इंडस्ट्रियल एरिया और 4 फ्लैटेड फैक्ट्री कॉम्प्लेक्स हैं. इसके अलावा 25 नॉन-कांफोर्मिंग इंडस्ट्रियल क्लस्टर हैं. ये कागजों पर नॉन कांफेर्मिंग हैं, लेकिन वहां सारी गतिविधियां चल रही हैं. इसे केंद्र सरकार जल्द से जल्द कन्फर्म करे, ताकि ये दिल्ली के ग्रोथ का हिस्सा बन सके. इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार को साथ में मिलकर काम करना होगा और हमें केंद्र सरकार और डीडीए का सहयोग चाहिए. उन्होंने बताया कि केजरीवाल सरकार रानी खेरा में 147 एकड़ भूमि पर एक विश्व स्तरीय मल्टीलेवल मैन्युफैक्चरिंग हब तैयार करने की योजना बनाई जा रही है, साथ ही कि दिल्ली सरकार बापरोला में लगभग 55.20 एकड़ जमीन पर एक नॉलेज बेस्ड इंडस्ट्रियल पार्क को विकसित कर रही है और दिल्ली सरकार कांझावाला में भी एक इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप विकसित करने जा रही है. ये प्रस्तावित परियोजना 920 एकड़ के क्षेत्र में फैली एक प्रमुख ग्रीनफील्ड परियोजना होगी.

 

केजरीवाल सरकार राजधानी दिल्ली की सड़कों को बना रही है विश्वस्तरीय

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि केजरीवाल सरकार दिल्ली की सड़कों को विश्वस्तरीय बनाने का काम कर रही है. दिल्ली में 30 मीटर से ज्यादा चौड़ी 540 किमी सड़कें हैं. हमारा प्रयास इन सड़कों को दुनिया के विकसित देशों के शहरों जैसा बनाना है. इन सड़कों को स्मार्ट सड़क बनाने के लिए दिल्ली सरकार ने जो योजना तैयार की है, उसके लिए 11000 करोड़ रुपयों की जरूरत है.

 

प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए काम कर रही है केजरीवाल सरकार

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली तेजी से विकास कर रहा राज्य है. हम इस शहर को पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इस दिशा में केजरीवाल सरकार लगातार काम कर रही है. जिसके लिए केजरीवाल सरकार ने ई-व्हीकल पॉलिसी बनाई है. उन्होंने कहा कि दुनिया के विकसित देशों में इतनी बड़ी मात्रा में ई-व्हीकल इसलिए है, क्योंकि वहां बड़ी संख्या में चार्जिंग स्टेशन भी बनाए गए हैं. दिल्ली सरकार दिल्ली को भी ई-व्हीकल कैपिटल बनाना चाहती है, इसके लिए दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और डीडीए से सहयोग चाहती है, क्योंकि दिल्ली में जमीन डीडीए के पास है.

 

दिल्ली सरकार के पास जमीन का न होना सबसे बड़ी चुनौती

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली के लोगों को स्वस्थ रखने के लिए दिल्ली सरकार प्रयासरत है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में सरकार के पास उपलब्ध जमीन पर हम नए अस्पतालों का निर्माण कर रहे हैं, लेकिन भविष्य में किसी भी महामारी से निपटने के लिए हमें तैयार रहना होगा और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाना होगा. डीडीए ने पिछले कई सालों में प्राइवेट ट्रस्ट को अस्पताल बनाने के लिए जमीनें दी हैं, लेकिन ये ट्रस्ट इन जमीनों का इस्तेमाल नहीं कर पा रही है. इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार को केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की जरूरत है. केंद्र सरकार इन जमीनों का ऑडिट करवाएं. यदि ट्रस्ट इन जमीनों पर अस्पताल बनाने को राजी नहीं है, तो दिल्ली सरकार इन जमीनों पर वर्ल्ड-क्लास हॉस्पिटल बनाने के लिए तैयार है. इससे दिल्ली के विकास में सहयोग मिलेगा.