दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल(Arvind Kejriwal) और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया(Manish Sisodiya) के खिलाफ कथित शराब घोटाले (Liquor scam) से संबंधित एक याचिका पर मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. दोनों नेताओं ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर मामले को रद्द करने की अपील की है. हालांकि, अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सुनवाई को तीन महीने के लिए स्थगित कर दिया.

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दिल्ली हाई कोर्ट में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने ईडी केस को रद्द करने की मांग की, यह तर्क देते हुए कि मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक मंजूरी नहीं ली गई थी. आम आदमी पार्टी की ओर से वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने इस आधार पर कार्यवाही को चुनौती दी कि मंजूरी की कमी है. दूसरी ओर, ईडी की तरफ से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दावा किया कि मंजूरी ली गई थी और इसे ट्रायल कोर्ट में प्रस्तुत किया गया था. हालांकि, जॉन ने इसका खंडन करते हुए कहा कि यह जानकारी इस अदालत के समक्ष उपलब्ध नहीं है.

जॉन ने बताया कि ईडी ने बिना मंजूरी के विस्तृत जवाब प्रस्तुत किया. उन्होंने याचिका में ईडी के उत्तर को पढ़ा और कहा कि ईडी ने पहले यह स्पष्ट किया था कि सीबीआई की मंजूरी में ईडी की कार्रवाई भी शामिल है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि दो साल बाद, 14 फरवरी 2025 को नई अनुमति को रिकॉर्ड में रखा गया, लेकिन इससे उनका मूल आधार प्रभावित नहीं हुआ. उन्होंने यह भी कहा कि ईडी ने आवश्यक आदेश नहीं रखा, जो कि होना चाहिए था.

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कोर्ट ने बताया कि ईडी ने दिल्ली के एलजी से अनुमति प्राप्त की है, जिसे इस अदालत में प्रस्तुत किया जाएगा. एएसजी ने स्पष्ट किया कि यह एक सैद्धांतिक सुनवाई है और इसमें कोई तात्कालिकता नहीं है, बल्कि यह केवल दस्तावेज़ों की आपूर्ति से संबंधित है. इसके बाद, अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 12 नवंबर निर्धारित की.

चार्जशीट ट्रायल कोर्ट में दायर हुई थी, 5 पॉइंट में पूरा मामला

ED ने पिछले साल जुलाई में केजरीवाल के खिलाफ सातवीं चार्जशीट ट्रायल कोर्ट में पेश की थी. ट्रायल कोर्ट ने 9 जुलाई को चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए यह कहा था कि केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं.

केजरीवाल ने नवंबर में दिल्ली हाईकोर्ट में ईडी की सातवीं चार्जशीट पर संज्ञान लेने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द करने की अपील की थी. उन्होंने यह तर्क दिया कि ईडी द्वारा लगाए गए आरोपों के समय वे एक सार्वजनिक सेवक थे.

दिल्ली के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे थे. हालांकि, केस चलाने के लिए ED के पास आवश्यक मंजूरी नहीं थी, फिर भी ट्रायल कोर्ट ने चार्जशीट पर कार्रवाई की.

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केजरीवाल की याचिका हाईकोर्ट से खारिज होने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में निर्णय सुनाते हुए कहा कि किसी भी मामले की सुनवाई के लिए सरकार की अनुमति आवश्यक है.

सुप्रीम कोर्ट ने 6 नवंबर को एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए कहा कि पब्लिक सर्वेंट के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) के तहत मामला सरकार की अनुमति के बिना नहीं चलाया जा सकता. यह नियम केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और राज्य पुलिस पर भी लागू होगा. इसके बाद, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राज्यपाल से आवश्यक अनुमति मांगी.