नई दिल्ली. केरल में सदी की सबसे बड़ी बाढ़ के चलते अब तक 350 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. केरल में आई इस त्रासदी की वजहों में केरल सरकार ने तमिलनाडु सरकार की तरफ से मुल्लापेरियार बांध में जल का स्तर कम करने से इनकार करने और बाद में अचानक पानी छोड़ना एक प्रमुख कारण बताया है.
सुप्रीम कोर्ट में केरल सरकार की तरफ से दाखिल हलफननामे में कहा गया है कि मुल्लापेरियार बांध में जल का स्तर बढ़ जाने के बाद अचानक पानी छोड़े जाने की वजह से यह बाढ़ आई है. हलफनामे में कहा गया है कि तमिलनाडु सरकार से अनुरोध किया गया कि 139 फीट तक धीरे-धीरे पानी छोड़ा जाए, लोकिन अनुरोध के बावजूद तमिलनाडु सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक आश्वासन नहीं मिला. फिर अचानक ही मुल्लापेरियार बांध से पानी छोड़े जाने से केरल सरकार को इडुक्की जलाशय से अधिक पानी छोड़ने के लिये बाध्य होना पड़ा. जो इस बाढ़ का एक प्रमुख कारण है. केरल सरकार ने न्यायालय में दाखिल हलफनामे में कहा कि इस बाढ़ से केरल की कुल करीब 3.48 करोड़ की आबादी में से 54 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं.
राज्य सरकार ने कहा है कि उसके इंजीनियरों द्वारा पहले से सचेत किये जाने के कारण राज्य के जल संसाधन सचिव ने तमिलनाडु सरकार में अपने समकक्ष और मुल्लापेरियार बांध की निगरानी समिति को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि जलाशय के जलस्तर को अपने अधिकतम स्तर पर पहुंचने का इंतजार किए बगैर ही पानी छोड़ने की प्रक्रिया नियंत्रित की जाए.
केरल सरकार की तरफ से कहा गया कि ऐसी स्थिति की पुनरावृत्ति रोकने के लिये निगरानी समिति की कमान केन्द्रीय जल आयोग के अध्यक्ष को सौंपी जाए और दोनों राज्यों के सचिवों को इसका सदस्य बनाया जाए. इस समिति को बाढ़ अथवा ऐसे किसी संकट के समय बहुमत से निर्णय लेने का अधिकार दिया जाना चाहिए.
केरल सरकार ने मुल्लापेरियार बांध के रोजाना के संचालन के प्रबंधन के लिये भी एक प्रबंध समिति गठित करने का अनुरोध किया है. बता दें कि राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत के 18 अगस्त के निर्देशानुसार इस मामले में यह हलफनामा दाखिल किया है.