Maha Kumbh 2025. आस्था की नगरी प्रयागराज 12 साल बाद महाकुंभ 2025 के लिए पूरी तरह तैयार है. देश के कोने-कोने से साधु-संतों का यहां पर पहुंचना जारी है. वहीं, यहां पर हरिश्चंद्र विश्वकर्मा कबीरा नाम के बाबा चर्चा का केंद्र बने हुए हैं, जो चाबी वाले बाबा (Key wale baba in Maha Kumbh 2025) के नाम से भी मशहूर हैं. बाबा अपने साथ 20 किलो की चाबी लेकर चलते हैं. उन्होंने भव्य धार्मिक आयोजन के लिए सरकार की तारीफ की.
दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी तक किया जाएगा. अंत समय में शासन-प्रशासन द्वारा सारी तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रही हैं. यहां पर एक चाबी वाले बाबा (Key wale baba in Maha Kumbh 2025) आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं, जो अपने साथ 20 किलो की चाबी लेकर यात्रा करते हैं. उन्होंने इसको ‘राम नाम की चाबी’ बताया है. उत्तर प्रदेश के रायबरेली के रहने वाले बाबा ने 16 साल की उम्र में ही घर का त्याग कर दिया था.
MTech Engineer Baba
महाकुंभ मेले में कई बाबाओं के दर्शन होंगे. चाबी वाले बाबा जैसे कई संत यहां पर उपस्थित रहेंगे. ऐसे ही एक संत हैं निरंजनी अखाड़े के 55 वर्षीय नागा संत दिगंबर कृष्ण गिरि (Naga Saint Digambar Krishna Giri). नागा संन्यासियों में सबसे अलग दिगंबर कृष्ण गिरि ही हैं. इनकी फर्राटेदार अंग्रेजी सुनकर वहां से गुजरने वाले दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं. नागा संत दिगंबर कृष्ण गिरि दरअसल एमटेक इंजीनियर (MTech Engineer) हैं. कर्नाटक यूनिवर्सिटी के टॉपर रहे चुके हैं. इंजीनियरिंग करने के बाद मल्टीनेशनल कंपनी के सालाना 40 लाख रुपये पैकेज वाली नौकरी मिली. हालांकि नागा साधुओं के वैभव और उनकी आध्यात्मिकता से प्रभावित होकर कृष्ण गिरि ने 40 लाख की नौकरी छोड़कर सन्यासी बन गए.
Oxygen Baba
इसी तरह एक बाबा हैं Oxygen वाले बाबा. 62 वर्षीय महंत इंद्र गिरी महाराज (Mahant Indra Giri Maharaj). महंत इंद्र गिरी महाराज को लोग ‘ऑक्सीजन’ बाबा (Oxygen Baba) के नाम से जानते हैं. महंत इंद्र गिरी हमेशा अपने साथ ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर चलते हैं. इसके कारण लोग इन्हें ‘ऑक्सीजन’ वाले बाबा कहते हैं. महंत इंद्र गिरी महाराज आवाहन अखाड़े के महंत हैं. चार साल पहले साल 2021 में कोरोना की महामारी के दौर में कोविड की चपेट में आने से उनके फेफड़े तकरीबन पूरी तरह खराब हो गए थे. वर्तमान में उनके दोनों फेफड़े 97 प्रतिशत से ज्यादा डैमेज हैं. वे ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं. डॉक्टर्स ने जवाब दे दिया था. इन्हें बताया गया कि जीवन अब तभी तक है, जब तक आर्टिफिशियल ऑक्सीजन के जरिए सांस चलती रहेगी. इतना ही नहीं उन्हें चलने फिरने और सफर करने से बचने को भी कहा गया था.
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