लखनऊ. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में एक छात्र द्वारा किए गए एक शोध से अत्यधिक जटिल फ्रैक्चर वाले मरीजों को जल्दी ठीक होने में मदद मिलेगी. इस शोध ने हड्डी निर्माण प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने का एक तरीका खोजा है.

केजीएमयू में ओरल मैक्सिलोफेशियल विभाग की पीएचडी छात्रा डॉ. शिल्पा त्रिवेदी ने अपने अध्ययन में पाया है कि टूथ पल्प से प्राप्त स्टेम सेल बोन ग्राफ्ट में हड्डियों के निर्माण की प्रक्रिया को तेज कर सकते हैं. ग्राफ्ट का उपयोग आमतौर पर जटिल फ्रैक्चर में हड्डी के हिस्से को बदलने के लिए किया जाता है, जहां एक हिस्सा या तो गायब होता है या उसे बाहर निकालना पड़ता है. अपने अध्ययन में, उन्होंने टूथ पल्प से स्टेम सेल निकाले और उन्हें छह सप्ताह तक बढ़ने देने के लिए कल्चर किया. बाद में उनके प्रभाव की निगरानी के लिए उन्हें बोन ग्राफ्ट में ट्रांस़फ्यूज किया गया. 21 दिनों के लिए नमूने की निगरानी की गई और प्रक्रिया को स्टेम कोशिकाओं के विभिन्न अनुपातों के साथ दोहराया गया.

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त्रिवेदी ने कहा “यह आशा देता है कि जिन रोगियों में बोन ग्राफ्टिंग की जरूरत है, वे तेजी से ठीक हो सकते हैं.” अध्ययन 2021 में निप्पॉन डेंटल यूनिवर्सिटी, जापान के जर्नल ऑफ ओडोन्टोलॉजी में प्रकाशित हुआ था. इसके लिए डॉ. शिल्पा त्रिवेदी को केजीएमयू के सालाना रिसर्च शोकेस में बेस्ट पीएचडी थीसिस अवॉर्ड से भी नवाजा गया.

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चूंकि यह एक प्रयोगशाला-नियंत्रित अध्ययन था, इसलिए जानवरों की आगे की जांच की जानी है. ओरल मैक्सिलोफेशियल विभाग में उनकी मेंटर और फैकल्टी प्रोफेसर दिव्या मल्होत्रा ने कहा, “जानवरों पर ट्रायल पास करने के बाद ही, मानव परीक्षण शुरू होगा और अगर सफल पाया जाता है, तो यह जटिल फ्रैक्च र के रोगियों के लिए वरदान हो सकता है.”

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