संतोष देव गिरि, सोनभद्र. उत्तर प्रदेश-छत्तीसगढ़ के जंगल खैर (कत्था) की लकड़ी के तस्करों के लिए मुफीद हो उठे हैं. दोनों राज्यों की सीमा को पार करते हुए तस्कर कीमती लकड़ी की तस्करी कर प्रदेश सरकार के राजस्व को को चपत लगा रहे हैं. उत्तर प्रदेश के आखरी छोर पर स्थित सोनभद्र जनपद से लगने वाली सीमा उत्तर प्रदेश-छतीसगढ़ के जंगल से यूपी के जंगलों के रास्ते खैर की कीमती लकड़ी की तस्करी की जा रही है. खैर की लकड़ी की तस्करी में जुटे लोगों की सक्रियता देख वन विभाग ने भी गश्त तेज करते हुए जंगलों को खंगालना शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में वन अमले ने सोनभद्र जनपद की सीमा क्षेत्र नवाटोला से पिकअप पर लदे हुए 58 बोटा खैर की लकड़ी को कब्जे में लेकर सीज कर दिया है.
हालांकि अंधेरे का फायदा उठाकर तस्कर मौके से फरार हो गए. इस संदर्भ में जानकारी देते हुए वन रेंजर राजेश सिंह ने बताया कि कत्था लकड़ी तस्कर कमलेश यादव (बलरामपुर, छतीसगढ़) को 58 बोटा खैर की कीमती लकड़ी के साथ गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने बताया कि तस्कर छत्तीसगढ़ के जंगल से लकड़ियां काटकर यूपी के जरहा रेंज क्षेत्र नेमना गांव टोला नवाटोला के रास्ते कहीं बेचने की फिराक में जा रहे थे. इसी बीच मुखबिर की सूचना पर जरहा वन रेंज की सक्रिय से वन विभाग की टीम ने छापा मारकर बॉर्डर क्षेत्र में लकड़ी सहित पिकअप को धर दबोचा. वहीं मौके फरार हुए तस्करों की तलाश जारी है. जब्त लड़की की अनुमानित कीमत ढाई लाख रुपये आंकी गई है. पिकअप सहित खैर की लकड़ी को सीज कर उत्तर प्रदेश वन उपज परिवहन नियमावली की धारा 41/42 के तहत विधिक कार्रवाई के बाद आरोपियों की तलाश की जा रही है.
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बता दें कि उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद से लगे छत्तीसगढ़ राज्य के जंगलों में भारी मात्रा में खैर (कत्था) के पेड़ पाएं जाते हैं. जिMकी कीमत लाखों में होती है. खैर लकड़ी की डिमांड होने के चलते दोनों राज्यों के जंगलों में सक्रिय माफिया ठंड का असर बढ़ता हुआ देख अपनी सक्रियता बढ़ाते हुए लकड़ी की कटाई में जुट गए हैं.
रात के अंधेरे में होती है कटाई
खैर की लकड़ी की दिन के उजाले में कटाई तो होती ही है, रात में भी ये सिलसिला जारी रहता है. इसके लिए आसपास के गरीब मेहनतकश लोगों को भी कटाई के काम में लगाया जाता है. लकड़ी काटने के बाद चोरी छुपे एक निश्चित जगह पर इकट्ठा कर दिया जाता है. जहां से अंधेरा होने पर छोटे-छोटे वाहनों में लादकर ठिकानों तक पहुंचाया जाता है. इसके बाद उसे मार्केट में पहुंचा दिया जाता है.
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