अमित पांडेय, खैरागढ़। जिले में जर्जर सड़कों को लेकर जनता का गुस्सा फूट पड़ा। डोंगरगढ़, राजनांदगांव और दुर्ग को खैरागढ़ से जोड़ने वाले अधिकांश मार्गों की हालत बदतर हो चुकी है। अमलीपारा से उमराव पुल तक हर मोड़ पर जान का खतरा बना हुआ है। बार-बार शिकायतें करने और मीडिया कवरेज के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं।
रविवार को इन हालातों के खिलाफ स्थानीय लोगों ने विरोध का बिगुल बजाया और इस बार नेतृत्व खुद खैरागढ़ विधायक यशोदा वर्मा ने किया। वे सड़क पर नगाड़ा लेकर धरने पर बैठ गईं। उनके साथ मिशन मंडे अभियान के संयोजक, कांग्रेस कार्यकर्ता और स्थानीय नागरिक भी मौजूद रहे।

“यह सिर्फ विरोध नहीं, व्यवस्था को चेतावनी है” – विधायक यशोदा वर्मा
धरने के दौरान विधायक यशोदा वर्मा ने खुलासा किया कि PWD विभाग ने विक्रमपुर-जालबांधा मार्ग के लिए 77 लाख और खैरागढ़-दुर्ग मार्ग के लिए 1.13 करोड़ रुपये की मरम्मत राशि मंजूर की है। लेकिन सड़कों की हालत देखकर यह साफ है कि ये राशि केवल कागजों तक ही सीमित रही है।

विधायक करीब डेढ़ घंटे तक सड़क पर बैठीं और मौके पर संबंधित अधिकारियों को बुलाने की मांग की। हालांकि, PWD का कोई भी अधिकारी या तहसील का प्रतिनिधि धरनास्थल पर नहीं पहुंचा। इस दौरान खैरागढ़-दुर्ग रोड पर करीब एक घंटे तक ट्रैफिक बाधित रहा।
“रात के अंधेरे में गड्ढे भरना सबूत मिटाना है” – मनराखन देवांगन
मिशन मंडे के संयोजक मनराखन देवांगन ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि आंदोलन की भनक लगते ही PWD के कर्मचारी रात में गड्ढे भरने पहुंच गए। उन्होंने सवाल उठाया, “जब दिन में बुलाने पर कोई नहीं आता, तो रात में चुपचाप गड्ढे क्यों भरे जा रहे हैं? ये गड्ढे भरना नहीं, सबूत मिटाना है।”
देवांगन ने ऐलान किया कि अब अगला आंदोलन सड़कों पर नहीं, सरकारी दफ्तरों के भीतर नगाड़ा बजाकर किया जाएगा।
अब यह आंदोलन केवल टूटी सड़कों का नहीं
धरने के दौरान न तो स्थानीय प्रशासन और न ही PWD विभाग का कोई अधिकारी मौके पर पहुंचा। प्रदर्शनकारियों ने इसे केवल टूटी सड़कों के खिलाफ नहीं, बल्कि उस बेपरवाह व्यवस्था के खिलाफ बिगुल बताया जो वर्षों से जनता की शिकायतों पर चुप्पी साधे बैठी है।
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