शशांक द्विवेदी, खजुराहो: मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग, जिला प्रशासन और दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र नागपुर के सहयोग से खजुराहो नृत्य समारोह परिसर में पारंपरिक कलाओं के राष्ट्रीय समारोह लोकरंजन का आयोजन किया जा रहा है। समारोह की शुरुआत वंदना श्री एवं साथी उत्तरप्रदेश द्वारा लठ और फूलों की होली, मयूर और चरखुला नृत्य से की गई। कलाकारों ने 100 किलो फूलों से फूलों से होली खेले रघुवीरा… ब्रज में खेले होरी रसिया जैसे गीतों पर प्रस्तुति दी।

इसके बाद दिनेश जांगड़े एवं साथी ने छत्तीसगढ़ के पंथी नृत्य की प्रस्तुति दी। पंथी छत्तीसगढ़ के सतनामी जाति का परम्परागत नाच है। किसी तिथि-त्यौहार पर सतनामी जैतखाम की स्थापना करते हैं और उसके आसपास गोल घेरे में नाचते हैं, गाते हैं। पंथी नाच की शुरूआत देवताओं की स्तुति से होती है। पंथी गीतों का प्रमुख विषय गुरु घासीदास का चरित होता है। पंथी नृत्य गीत अध्यात्मिक संदेश के साथ मनुष्य जीवन की महत्ता भी होती है। गुरु घासीदास के पंथ से पंथी नाच की संज्ञा का अभिज्ञान हुआ है।

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ललित उसेंडी के ग्रुप ने दी गेड़ी नृत्य की प्रस्तुति

इसके बाद ललित उसेंडी एवं साथी, छत्तीसगढ़ द्वारा गेड़ी नृत्य की प्रस्तुति दी गई। मुरिया जनजाति के मुख्य पर्व-त्यौहार में नवाखानी, जाड़, जात्रा और सेषा प्रमुख हैं। प्रत्येक व्यक्ति नृत्य गीत में समान रूप से दक्ष होते हैं। ककसार धार्मिक नृत्य गीत है। वर्ष में एक बार ककसार पर्व होता है। इस अवसर पर गाए जाने वाले गीत को ककसार पाटा कहते हैं। यह गांव के धार्मिक स्थल पर होता है। मुरिया लोगों में यह माना जाता है कि लिंगोदेव (शंकर) के पास अठारह वाद्य थे। उन्होंने सभी वाद्य मुरिया लोगों को दे दिए। उसके बाद मुरिया अठारह में से उपलब्ध सभी वाद्यों के साथ ककसार में लिंगोदेव को प्रसन्न करने के लिए गाते-बजाते हैं।

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कलारूप के नजरिए से घोटुल का प्रमुख नृत्य

रात में देवता की साज-सज्जा की जाती है और रात भर युवाओं द्वारा नृत्य किया जाता है। नृत्य के समय युवा पुरूष अपनी कमर में पीतल अथवा लोहे की घंटियां बांधे होते हैं। हाथ में छतरी और सिर पर सजावट कर वे नृत्य करते हैं। गेड़ी नृत्य जिसे मुरिया लोग डिटोंग पाटाच कहते हैं, लकड़ी की गेड़ी पर किया जाता है। इसमें केवल नृत्य होता है गीत नहीं गाए जाते। गेड़ी नृत्य अत्यधिक गतिशील नृत्य है। डिटोंग गेड़ी नृत्य कलारूप के नजरिए से घोटुल का प्रमुख नृत्य है।

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