Khaleda Zia Death: बांग्लादेश की राजनीति का एक अध्याय आज खत्म हो गया है। दशकों तक ढाका की सियासत का प्रभावशाली चेहरा रही पूर्व पीएम खालिदा जिया का निधन हो गया है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की प्रमुख और बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री ने ढाका के एवरकेयर हॉस्पिटल में आज सुबह 6 बजे अंतिम सांस ली। खालिदा पिछले कई साल से सीने में इन्फेक्शन, लिवर, किडनी, डायबिटीज, गठिया और आंखों की परेशानी से जूझ रहीं थीं। वे 20 दिन से वेंटिलेटर पर थीं।

बांग्लादेश की पूर्व पीएम खालिदा जिया का भारत के साथ गहरा नाता रहा है। खालिदा जिया का भारत से खास कनेक्शन होने के बावजूद हमेशा हिंदुस्तान के साथ टकराव की मुद्रा में रहीं। खालिदा जिया की पाकिस्तान पृष्ठभूमि की वजह से उनका भारत के साथ टकराव होता रहा। भारत के साथ उनका रिश्ता अक्सर टकराव और अविश्वास से भरा रहा। खालिदा जिया की राजनीति का आधार ही भारत-विरोधी राष्ट्रवाद माना जाता है।

भारत के जलपाईगुड़ी में हुआ था जन्म

खालिदा जिया का जन्म 15 अगस्त 1945 को अविभाजित भारत के बंगाल प्रेसिडेंसी (पश्चिम बंगाल) के जलपाईगुड़ी में हुआ था। उनका मूल नाम खालिदा खानम पुतुल था। हालांकि घर वाले खालिदा जिया को प्यार से ‘पुतुल’ कहे थे। 1947 के भारत विभाजन के बाद उनका परिवार दिनाजपुर शहर (तत्कालिन पूर्वी पाकिस्तान) चला गया। खालिदा की शादी पाकिस्तानी सेना के कैप्टन जियाउर रहमान से हुई। 1965 में  शादी के बाद खालिदा जिया पति के साथ पाकिस्तान चली गईं। उन्होंने अपना नाम बदलकर खालिदा जिया रख लिया। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान जियाउर रहमान तैनात थे। 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तान की करारी शिकस्त हुई। इसके बाद एक नये देश बांग्लादेश ( तत्कालिन पूर्वी पाकिल्तान) का जन्म हुआ। बांग्लादेश बनने के बाद जियाउर रहमान बाद में बांग्लादेश के राष्ट्रपति बने और खालिदा 1977 से 1981 तक बांग्लादेश की प्रथम महिला रहीं।  

पति की हत्या के बाद राजनीति में हुई एंट्री

हालांकि 30 मई 1981 को जियाउर रहमान की हत्या कर दी गई। उसके बाद खालिदा के जीवन में अंधेरा फैला गया। उस दर्द ने उन्हें राजनीति के मैदान में उतारा, जहां उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2 जनवरी 1982 को खालिदा ने बीएनपी की सदस्यता ली। इस पार्टी की स्थापना उनके पति ने 1978 में की थी। 10 मई 1984 को वह बीएनपी की चेयरपर्सन चुनी गईं और 30 दिसंबर 2025 तक इस पद पर रहीं। उन्होंने 1982 में हुसैन मुहम्मद एरशाद के सैन्य तख्तापलट के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया।खालिदा जिया ने 1982 में हुसैन मुहम्मद एरशाद के सैन्य तख्तापलट के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया। उनका जीवन लंबे राजनीतिक प्रतिरोध की कहानी है। 1983 से 1990 तक एरशाद शासन के खिलाफ उन्होंने 7-पार्टियों के गठबंधन का नेतृत्व किया। उन्होंने 1986 के चुनाव का बहिष्कार किया और कई बार नजरबंद रहीं। ॉ

तीन बार बांग्लादेश की पीएम बनीं

खालिदा तीन बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं। पहली बार 1991 में. इस दौरान उन्होंने प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त और अनिवार्य बनाया। उनका दूसरा कार्यकाल फरवरी 1996 में था जो थोड़े दिनों के लिए था। तीसरा कार्यकाल (10 अक्टूबर 2001 – 29 अक्टूबर 2006) में खालिदा को बंपर सीटें मिली थीं। उनके फोर पार्टी एलायंस को दो तिहाई सीटें मिली थी। 

भारत के साथ हमेशा टकराव और प्रणब मुखर्जी से मिलने से इंकार

खालिदा जिया की पाकिस्तान पृष्ठभूमि की वजह से उनका झुकाव हमेशा पाकिस्तान के प्रति रहा। वहीं भारत के साथ टकराव वाला रहा। भारत के साथ उनका रिश्ता अक्सर टकराव और अविश्वास से भरा रहा। खालिदा जिया की राजनीति का आधार ही भारत-विरोधी राष्ट्रवाद रहा। खालिदा जिया के भारत विरोधी रूख का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मार्च 2013 में जब पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ढाका दौरे पर थे खालिदा ने उन्हें मिलने तक से इंकार कर दिया था। खास बात यह है कि जब खालिदा ने ये रुख अपनाया था उस वक्त दिल्ली में यूपीए की सरकार थी। खालिदा ने तब कहा था कि कांग्रेस नीत दिल्ली की सरकार हसीना सरकार को ज्यादा तवज्जो दे रही है।

पाकिस्तान प्रोपगैंडा की पैरोकार

1991–96 और 2001–06 के अपने कार्यकाल में उन्होंने भारत के बजाय पाकिस्तान और चीन के साथ रिश्तों को प्राथमिकता दी। खालिदा जिया ने 1972 की भारत-बांग्लादेश मैत्री संधि को ‘गुलामी की संधि’ करार दिया और इसका विरोध किया। 1996 की गंगा जल साझा संधि को ‘गुलामी का सौदा’ कहा और चटगांव हिल ट्रैक्ट्स शांति समझौते का विरोध किया।

यह भी पढ़ेंः- ‘एक मूर्ख की वजह से देश इतना नुकसान नहीं झेल सकता…,’ किरेन रिजिजू का राहुल गांधी पर करारा वार, बोले- अब हर बिल पास कराएगी सरकार

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m