Bangladesh BNP Religious Law: हिंसा की आग में जल रहे बांग्लादेश में चुनाव की घोषणा हो चुकी है। चुनाव की तिथि घोषित होने के बाद से कट्टरपंथी बांग्लादेश में शरिया कानून की मांग करने लगे हैं। इसी के साथ ही इस चुनाव में बांग्लादेश में धर्म राजनीति का खाका तैयार हो गया है। फिलहाल बांग्लादेश की सबसे बड़ी राजनीति पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) भी देश को लोकतंत्र को खत्म कर मुस्लिम धर्मिक देश का थप्पा लगाने की दिशा में कदम बढा दी है। BNP के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर (Mirza Fakhrul Islam Alamgir) ने कहा कि देश में कुरान और सुन्नत से बाहर कोई कानून नहीं बनने दिया जाएगा।

BNP के इस रुख पर लेखिका और मानवाधिकार कार्यकर्ता तस्लीमा नसरीन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि BNP ‘मुस्लिम टोपी’ पहनकर जमात-ए-इस्लामी से भी बड़ी जमात बनना चाहती है। तस्लीमा नसरीन के अनुसार, अगर कुरान और हदीस पर आधारित कानून लागू किए गए तो सबसे ज्यादा नुकसान महिलाओं और गैर-मुसलमानों को होगा।

दरअसल BNP के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने रविवार को ठाकुरगांव सदर उपजिला में धार्मिक विद्वानों के साथ एक बैठक में कहा कि एक समूह जानबूझकर यह भ्रम फैला रहा है कि BNP कुरान और सुन्नत पर आधारित कानून नहीं चाहती। उन्होंने स्पष्ट किया कि सच्चाई इसके उलट है और BNP हमेशा कुरान और सुन्नत के आदर्शों के दायरे में रहना चाहती है। उनके अनुसार इस्लाम शांति का धर्म है और हम शांति चाहते हैं. इस चुनाव के ज़रिए हम एक शांतिपूर्ण माहौल में नया बांग्लादेश बनाना चाहते हैं। BNP महासचिव ने कहा कि देश की लगभग 90 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है और सभी नागरिकों के धार्मिक मूल्यों व संस्कृति की रक्षा करने में BNP ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई है। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी के खिलाफ तरह-तरह का दुष्प्रचार  फैलाया जा रहा है और लोगों को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है।

चुनाव, दमन और अतीत का जिक्र
उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक दलों के साथ-साथ उलेमा और विद्वानों को गिरफ्तार किया गया, प्रताड़ित किया गया और यहां तक कि फांसी दी गई। उन्होंने 2024 के जन आंदोलन का हवाला देते हुए कहा कि करीब दो हजार छात्रों की गोली मारकर हत्या कर दी गई और ढाका की सड़कों पर खून बहा। साथ ही उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया को ‘झूठे मामलों’ में छह साल जेल में रखे जाने और उचित चिकित्सा सुविधा न मिलने का मुद्दा भी उठाया।

देश की मौजूदा स्थिति पर गंभीर आरोप

मिर्जा फखरुल ने कहा कि देश इस समय एक गंभीर दौर से गुजर रहा है और ‘दुष्ट ताकतें’ भ्रम, आंदोलन और अशांति फैलाने की साजिश कर रही हैं। उन्होंने दावा किया कि पिछले 15 वर्षों में लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर किया गया, अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा, बैंकों की लूट हुई और धन विदेशों में तस्करी किया गया। उनके मुताबिक, सत्ता को बनाए रखने के लिए ऐसे कानून बनाए गए, जिनसे लोगों की अभिव्यक्ति की आज़ादी खत्म हो गई।

धार्मिक कानून सभ्यता के खिलाफःतस्लीमा

इधर BNP के इस रुख पर लेखिका और मानवाधिकार कार्यकर्ता तस्लीमा नसरीन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि BNP ‘मुस्लिम टोपी’ पहनकर जमात-ए-इस्लामी से भी बड़ी जमात बनना चाहती है। तस्लीमा नसरीन के अनुसार, अगर कुरान और हदीस पर आधारित कानून लागू किए गए तो सबसे ज्यादा नुकसान महिलाओं और गैर-मुसलमानों को होगा. उन्होंने दावा किया कि ऐसे कानूनों में महिलाओं, अल्पसंख्यकों और प्रगतिशील विचारकों के अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समाप्त हो जाएगी। तस्लीमा ने कहा कि किसी भी ‘सभ्य देश’ में धार्मिक कानून नहीं होते। उनके शब्दों में, धार्मिक कानून मानवाधिकार-विरोधी, महिला-विरोधी, समानता-विरोधी, विज्ञान और आधुनिकता के खिलाफ होते हैं और समाज में नफरत, हिंसा व भेदभाव को बढ़ावा देते हैं।

यह भी पढ़ेंः- ‘एक मूर्ख की वजह से देश इतना नुकसान नहीं झेल सकता…,’ किरेन रिजिजू का राहुल गांधी पर करारा वार, बोले- अब हर बिल पास कराएगी सरकार

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m