इमरान खान, खंडवा। मध्य प्रदेश के खंडवा के सीहाडा गांव में मंगलवार को प्रशासन की टीम ने दरगाह के आसपास अतिक्रमण हटाया। जिला प्रशासन ने दो बुलडोजर की मदद से दरगाह के आसपास की जमीन पर बने दो पक्के निर्माण, तार फेंसिंग और दरगाह के पास बने चबूतरे को तोड़ दिया है। परिसर में सांसद निधि से बने एक सामुदायिक भवन को खाली करवाकर ग्राम पंचायत को सौंप दिया। इस सामुदायिक भवन में अवैध रूप से मदरसा संचालित हो रहा था।

पिछले लगभग छह महीने पहले ग्राम पंचायत ने दरगाह के आसपास जमीन पर अतिक्रमण हटाने के लिए जिला प्रशासन में आवेदन दिया था। इसी के जवाब में स्थानीय पीर मौजा वफ्फ कमेटी ने भोपाल न्यायालय राज्य वफ्फ अधिकरण में दावा किया था कि गांव में बनी दरगाह, इमामबाड़ा और ईदगाह की संपत्ति वफ्फ की संपत्ति है। यह तीन और गांव की सारी संपत्ति एक ही रकबा में होने की वजह से पूरे गांव पर वफ्फ की संपत्ति होने का दावा मान लिया गया था। हालांकि ग्रामीण वफ्फ समिति के सदस्यों ने यह साफ कर दिया था कि उनका दावा पूरे गांव पर नहीं बल्कि सिर्फ तीन संपत्तियों पर ही है।

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ग्राम पंचायत की शिकायत पर कार्रवाई

इसी को लेकर न्यायालय राज्य वफ्फ अधिकरण ने दोनों पक्षों को 10 नवंबर को सुनवाई के लिए बुलवाया था। न्यायालय ने यह कहते हुए मामला समाप्त कर दिया कि वैधानिक सूचना पत्र की अवधि दो माह बीत चुकी है, इसलिए इसे नहीं सुना जा सकता। इसी आधार पर जिला प्रशासन ने स्थानीय प्रशासन ग्राम पंचायत की शिकायत पर आज 9 दिसंबर को दरगाह के आसपास अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की है।

प्राचीन दरगाह यथावत

कार्रवाई में दरगाह के आसपास लगभग 40000 स्क्वायर फीट की जमीन पर बनी तार फेंसिंग, दो पक्के निर्माण हटाए गए। दरगाह को विस्तार देने के लिए बनाया गया चबूतरा भी हटा दिया गया। साथ ही परिसर में सांसद निधि से बने एक सामुदायिक भवन में चल रहे मदरसे को भी खाली करा लिया गया। क्योंकि यह भवन सांसद निधि से बना था इसलिए इसे खाली कराकर ग्राम पंचायत को सौंप दिया गया। जिस स्थान पर प्राचीन दरगाह बनी है उसे पर कोई कार्रवाई नहीं हुई दरगाह यथावत है।

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बिना नोटिस कार्रवाई का आरोप

वहीं जिला वफ्फ कमेटी के सदस्यों का कहना है जिला प्रशासन ने कार्रवाई करने के पहले उन्हें कोई सूचना नहीं दी। जिला वक्फ कमेटी के सचिव रियाज खान ने कहा कि इस मामले को लेकर राज्य स्तरीय वफ्फ बोर्ड में अपील दायर करेंगे। इस कार्यवाही के दौरान एसडीएम, तहसीलदार, सिटी मजिस्ट्रेट और सैकड़ों की संख्या में पुलिस जवान और अधिकारी मौजूद रहे। किसी तरह की कानून व्यवस्था न बिगड़े इसलिए बड़ी संख्या में पुलिस अधिकारी भी मौजूद रहे, हालांकि अतिक्रमण हटाने के दौरान ऐसी कोई नौबत नहीं आई।

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