इमरान खान, खंडवा। आज गणेश चतुर्थी है और देशभर में घर-घर गणेश जी की स्थापना की जा रही है। अगले 10 दिनों तक हर घर में विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाएगी। हिंदू धर्म शास्त्रों में गणेश जी की पूजा को विशेष महत्व दिया गया है। यही कारण है कि गणेश चतुर्थी के अवसर पर लोग अपने घरों और सार्वजनिक स्थलों पर गणेश जी की मूर्तियों की स्थापना करते हैं।
लेकिन समय के साथ, गणेश जी की मूर्तियों को आकर्षक बनाने के लिए प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) और केमिकल रंगों का उपयोग किया जाने लगा, जो पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक साबित हो रहे हैं। विसर्जन के बाद ये मूर्तियां जल स्रोतों को प्रदूषित करती हैं और उनमें मौजूद जीव-जंतुओं के लिए खतरनाक होती हैं।
मिट्टी के गणेश जी बनाने की मुहिम
इन्हीं समस्याओं को देखते हुए खंडवा के समाजसेवी धर्मेंद्र जौहरी ने 8 साल पहले एक विशेष पहल शुरू की। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए मिट्टी के गणेश जी बनाने की मुहिम चलाई, जो अब खंडवा के घर-घर तक पहुंच चुकी है। धर्मेंद्र जौहरी का उद्देश्य है कि धार्मिक आस्था के साथ-साथ पर्यावरण की भी सुरक्षा सुनिश्चित हो।
इतने लोगों को सिखाया मिट्टी के गणेश जी बनाना
धर्मेंद्र जौहरी ने अपने व्यवसाय से समय निकालकर पिछले 8 सालों में 5 हजार से ज्यादा बच्चों और महिलाओं को मिट्टी के गणेश जी बनाना सिखाया है। उनकी यह पहल अब रंग लाने लगी है, क्योंकि उनके द्वारा सिखाए गए बच्चे और महिलाएं न केवल खुद गणेश जी की प्रतिमाएं बना रहे हैं, बल्कि इन्हें सार्वजनिक रूप से निःशुल्क वितरित भी कर रहे हैं।
धर्मेंद्र जौहरी का मानना है कि मिट्टी से बनी गणेश जी की प्रतिमा न केवल पर्यावरण के अनुकूल होती है, बल्कि इससे बच्चों और महिलाओं को अपनी श्रद्धा और धार्मिक आस्था को शुद्ध रूप में व्यक्त करने का अवसर भी मिलता है।
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मिट्टी के गणेश जी की निशुल्क वितरण
धर्मेंद्र जौहरी ने गणेश जी की मूर्तियां बनाने के लिए 15 दिन पहले से कार्यशालाएं शुरू की। इन कार्यशालाओं में स्कूली बच्चों और महिलाओं को मिट्टी के गणेश जी बनाना सिखाया गया। इन बच्चों और महिलाओं ने श्रद्धा और उत्साह के साथ अपने हाथों से गणेश जी की प्रतिमाएं बनाईं। धर्मेंद्र जौहरी द्वारा सिखाए गए गणेश जी अब हर घर में विराजमान होंगे, और उनकी विशेष बात यह है कि ये सभी प्रतिमाएँ निःशुल्क वितरित की जाती हैं।
धर्मेंद्र जौहरी का कहना है कि उनकी इस पहल का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण को बचाना और समाज में एक सकारात्मक संदेश फैलाना है। उनका मानना है कि अपने हाथों से बनाए गए गणेश जी की पूजा से न केवल आत्मिक शांति मिलती है, बल्कि इससे हमारे जल स्रोत भी सुरक्षित रहते हैं।
मिट्टी के गणेश जी से पर्यावरण सुरक्षा का संदेश
धर्मेंद्र जौहरी के इस पर्यावरण हितैषी अभियान में शामिल होने वाली महिलाएं और बच्चे भी इस पहल से बेहद उत्साहित हैं। सुजाता मोरे ने बताया कि अपने हाथों से गणेश जी बनाकर पूजा करने से एक अलग तरह की आत्मिक शांति मिलती है। साथ ही, इस पहल से उन्हें पर्यावरण को सुरक्षित रखने का महत्व भी समझ में आया।
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