पुरुषोत्तम पात्रा, गरियाबंद. जिले के मैनपुर विकासखण्ड के बुरजाबहाल गांव को साल भर पहले ओडीएफ घोषित कर दिया गया था. लेकिन इस गांव में जिन शौचालयों का निर्माण कराया गया था. वो उपयोग करने के लायक ही नहीं है. जिससे लोग खुले में शौंच करने को मजबूर है. ये हम नहीं कह रहे है. ऐसा कहना यहां के ग्रामीणों का है. जिन्होंने सिस्टम की पूरी पोल खोल कर रख दी है. इस मामले की शिकायत गांव में जागरुकता अभियान से जुड़ी 140 महिलाओं ने एसडीएम को सौंपी है. और 15 दिन में कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन करने की चेतावनी दी है.

गरियाबंद जिले के ओडीएफ घोषित होने पर कई बार सवाल खड़े हुए है, एक बार फिर ओडीएफ के नाम पर गरियाबंद जिला सुर्खियों में आ गया है. गांव में बने शौचालयों की हकीकत सामने लाते हुए ग्रामीणों ने बताया कि गांव में 405 शौचालयों का निर्माण स्वच्छ भारत मिशन के तहत किया जाना था. उनमें से 70 शौचालयों का निर्माण तो किया ही नहीं गया है. यही नहीं जिन शौचालयों का निर्माण कराया गया है. उनमें किसी का सीट नहीं है तो किसी में दीवार ही नहीं है. यहां तक की शौचालय का कमोड तक गायब हो गया है.

एसडीएम से की शिकायत

गांव के ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव का एक भी परिवार शौचालय का इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है. शौचालय का ऐसा बत्तर स्थिति होने से अब तो कोई झांकने भी नहीं जाता है. जिससे गांव के सभी लोग खुले में शौच कर रहे है. इन सब शिकायतों को लेकर गांव में जागरुकता अभियान से जुड़ी 140 महिलाओं ने एकजुट होकर एक शिकायत पत्र तैयार किया है. जिसमें सभी 140 महिलाओं ने हस्ताक्षर कर शिकायत पत्र एसडीएम को सौंपा है.

अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग

इन महिलाओं ने एसडीएम से सभी घरों में अच्छे शौचालय के निर्माण और गलत तरीके से गांव को ओडीएफ घोषित करने वालों के अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है. साथ ही उन्होंने एसडीएम से ये भी कहा कि कार्रवाई नहीं हुई तो 15 दिन का अल्टीमेटम देते हुए धरना प्रदर्शन की चेतावनी दी है.

शौचालय निर्माण में हुआ है बड़ा खेल

बुरजाबहाल निवासी और बीजेपी मण्डल महामंत्री जयराम साहू ने शौचालय निर्माण के मटेरियल सप्लाई में जिले के अधिकारी से भारी साठ गांठ का आरोप लगाया है. दबाव पूर्वक बहार से आए ठेकेदार से इलाके भर के 20 से भी ज्यादा पंचायतों में शौचालय निर्माण जबरिया कराने का आरोप लगाया गया है. जयराम ने बताया कि जंहा इन लोगों की सप्लाई व निर्माण का ठेका था, वहां आधूरे निर्माण के बावजूद आंख मूंद कर ओडीएफ घोषित कर दिया गया है.

20 पंचायतों का है यही हाल

इस आरोप की पुष्टि करते हुए बुरजबाहल के सरपंच मकरन्द सोरी ने भी कहा कि रायपुर के कृष्णा मटेरियल्स के लोग आकर सामग्री दिए थे. ईंट के बजाए सीमेंट से बने हल्के पेवर को खपाया गया था. विरोध करने पर जिला पंचायत के अधिकारियों की धौंस दिया जाता था. निर्माण के लिए कोई भी अनुबन्ध नहीं किया गया था. इसलिए ठेकेदार आधे अधूरे निर्माण करके चले गए गए और राशि पूरी ले गए. फोन लगाने पर भी नहीं उठा रहे है. सरपंच ने बताया मेरे गांव जैसा हाल यहां सालेभाठा, गोलामाल, मूढ़गेलमाल समेत 20 पंचायतों के साथ ऐसा ही बर्ताव हुआ है.

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सन 2012 में गांधी जयंती पर साफ-सफाई की अलख जगाई थी. घर-घर में स्वच्छता अभियान का नारा देकर लोगों को जागरूक किया था. लेकिन उनका मकसद पूरा नहीं हो पा रहा है.