हैदराबाद। तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हो रही है. कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बैठक से पहले अपने उद्बोधन में संसद के विशेष सत्र को लेकर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि लंबे सस्पेंस के बाद चंद बातें एजेंडे के तौर पर आयी हैं, जिसमें प्रमुख चुनाव आयोग पर सरकार का पूर्ण नियन्त्रण है. हमें सत्तादल की मंशा पर सतर्क रहना होगा. ये सरकार विपक्ष विहीन संसद चाहती है. वो नहीं चाहती है कि उससे कोई सांसद, मीडिया या आम लोग सवाल पूछे.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने भाषण के अंशों को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए बताया कि आज देश कई गंभीर आंतरिक चुनौतियों से जूझ रहा है. मणिपुर की दिल दहला देनेवाली घटनाओं को पूरी दुनिया ने देखा. 3 मई 2023 से वहां हिंसा आज भी जारी है. मणिपुर की आग को मोदी सरकार ने हरियाणा में नूँह (NUH) तक पहुंचने दिया. यहां हिंसा की वारदातें हुईं, जिस कारण राजस्थान, UP और दिल्ली में सांप्रदायिक तनाव फैला.
उन्होंने कहा कि ये घटनाएं आधुनिक, प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष भारत की छवि पर धब्बा लगाती हैं. ऐसे हालात में सत्ताधारी दल, सांप्रदायिक संगठन और मीडिया का एक वर्ग, आग में घी डालने का काम करता है. देश का “सर्वधर्म समभाव” बिगाड़ता है. हमें मिलकर ऐसी ताक़तों को IDENTIFY करके बेनक़ाब करते रहना है.
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था आज गंभीर खतरे में है. महंगाई से गरीबों और आम लोगों के जीवन पर संकट है. पिछले 5 सालों में एक साधारण थाली की क़ीमत 65% बढ़ गयी है. 74% लोग पौष्टिक आहार से वंचित हैं. दाल की कीमत एक साल में 37% (सैंतीस) तक बढ गयी है. हमारी देश में 65% आबादी नौजवान हैं. रिकॉर्ड unemployment rate, उनके सपनों को लगातार रौंद रही है. युवाओं का भविष्य अँधकार में है.
उन्होंने कहा कि विचार करने की जरूरत है कि आज देश के top 1% सबसे अमीर लोगों के कब्जे में देश की 40% दौलत है, वहीं निचले 50% जनता के पास सिर्फ़ 3% दौलत है. सरकारी नीतियों के कारण अमीर और अमीर हो रहे हैं जब्की गरीब और गरीब हो रहा है. उन्के बीच की खाई लगातार और गहरी हो रही है. इससे सामाजिक असंतोष और तनाव पैदा हो रहा है. ऐसी दशा सामाजिक-आर्थिक तरक्की की रफ्तार पर ब्रेक लगाती है.
खरगे ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार Data की हेराफ़ेरी कर रही है. 2021 का Census न कराने से 14 करोड़ लोग Food Security Act से और करीब 18% लोग मनरेगा से बाहर हो गये. मनरेगा की मजदूरी महीनों PENDING रहती है. हमारी मांग है कि 2021 Census की प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाये. उसके साथ ही जातिगत जनगणना भी करायी जाए, ताकि समाज के ज़रूरतमंद तबके को Health, Education, Employment, Food Security समेत दूसरे हक मिल सकें.
कांग्रेस अध्यक्ष ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आजादी के बाद बनी देश की बहुमूल्य PSUs को मोदी सरकार चंद पूँजीपति मित्रों के हवाले कर रही है. उनके फ़ायदे के लिए नीतियां बदली जा रही हैं, उनके हक के कानून बन रहे हैं. पिछले दिनों PM के करीबी कारोबारी की कंपनियों में 20,000 हज़ार करोड़ रुपए का शेल कंपनियों द्वारा निवेश हुआ. इसका पर्दाफ़ाश होने पर भी मोदी सरकार जांच नहीं करा रही है. सारे बड़े घोटालों पर सरकार मौन है, परदा डाल रही है.
उन्होंने कहा कि राहुलजी की extended ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के तहत लद्दाख के स्थानीय नेताओं ने उनको बताया कि चीन भारतीय हिस्से पर कैसे कब्जा कर रहा है. लेकिन मोदी सरकार चीन को लगातार क्लीन-चिट देती जा रही है. राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति ऐसी लापरवाही बेहद निंदनीय है. पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भयावह प्राकृतिक त्रासदी आई. हमारी मांग है कि इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित कर केंद्र सरकार जरूरी मदद करे और पुनर्निर्माण में सहयोग दे. कई राज्य सूखे से जूझ रहें हैं. भारत सरकार अपने-पराये की राजनीति से हट कर किसानों-मजदूरों की मदद करे.
खरगे ने कहा कि जब भी विपक्षी दल इन बुनियादी मसलों को उठाते हैं तो सरकार जवाब देने की जगह नये नये हथकन्डे अपनाते हुए नए नारे देती है. “आत्मनिर्भर भारत”, ‘5 trillion economy’, ‘New India 2022’ और “अमृतकाल” नारा दिया गया. आजकल “3rd largest economy” का सपना सरकार बेच रही है. नारों से देश की तरक़्क़ी नहीं होगी. हमें जनता को समझाना होगा कि ये विफलताओं को छुपाने वाले नारे है. सरकार सोचती है कि event और advertisements पर करोड़ों रुपये ख़र्च कर हिमालय जैसी नाकामियों को वो छिपा लेगी.
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि PM और BJP नेताओं के हमलों से हमारे INDIA गठबंधन की 3 बैठकों की सफलता का अंदाजा लगाया जा सकता है. हमारा कारवां जैसे जैसे आगे बढ़ेगा, इनके हमले तेज होंगे. INDIA गठबंधन की मुंबई बैठक के बाद ED, IT, CBI को सरकार ने विपक्षी नेताओं से राजनीतिक बदला लेने के लिए लगा दिया है. ये स्वस्थ लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है. लेकिन अफ़सोस कि यही हकीकत है.