शिखिल ब्यौहार,भोपाल। हिन्दू धर्म में देवउठनी एकादशी के साथ ही विवाह समेत कई मांगलिक कार्य शुरू हो जाते है। ज्योतिष शास्त्र की माने तो विवाह लग्न की शुद्धि में शुभ-मुहूर्त का विशेष महत्व माना जाता है। वहीं आज से खरमास शुरू हो रहे है। ऐसे में 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक मंगल कार्य नहीं होंगे।

शास्त्रानुसार देवशयनी एकादशी से देवप्रबोधिनी एकादशी तक चार महीने विवाह का निषेध होता है, लेकिन केवल इन चार महीनों में ही विवाह का निषेध नहीं होता अपितु गुरु-शुक्रास्त, खरमास, होलिकाष्टक एवं पौष मास की अवधि में भी विवाह समेत मांगलिक कार्य वर्जित होते है।

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ज्योतिषाचार्य की मानें तो इस साल देवउठनी एकादशी 23 नवंबर 2023 को मनाई गई थी। तभी से विवाह होना शुरू हो गए थे, लेकिन आज यानी 16 दिसंबर 2023 से धनु संक्रांति यानी खरमास होने के कारण एक बार फिर विवाह मुहूर्त का निषेध रहेगा। शनिवार 16 दिसंबर से 14 जनवरी 2024 तक खरमास रहेगा। जिसके चलते लगभग एक माह तक शादी समेत शुभ कार्यों नहीं होंगे।

भूलकर भी न करें ये गलती
खरमास के दिनों में भूलकर भी तुलसी के ऊपर सिंदूर या फिर कोई पूजन सामग्री न चढ़ाएं। इसका नकारात्मक असर हो सकता है। इसके साथ ही दूर्वा भी न चढ़ाएं इससे माता लक्ष्मी रूष्ठ हो सकती हैं। वही आप खरमास में तुलसी को जल दान, दीपदान और धूपदान दे सकते हैं।

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