खरसिया- खरसिया विधानसभा सीट सामान्य सीट है. एक समय में अविभाजित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की राजनीति खरसिया से ही संचालित होती थी. लेकिन आजादी के बाद से लेकर अब तक इस सीट पर कांग्रेस का ही कब्जा रहा है. वर्तमान में नंदकुमार पटेल के बेटे उमेश पटेल यहां से विधायक हैं जिन्हे टक्कर देने के लिए बीजेपी ने अपना ब्रम्हास्त चलाया है. बीजेपी ने पूर्व रायपुर कलेक्टर ओपी चौधरी को इस सीट पर उतारा है. जिसके चलते यह सीट एक हाईप्रोफाइल सीट बन चुकी है. बीजेपी का यह ब्रम्हास्त्र कितना काम करेगा चलिए देखते हैं.

कौन कौन है मैदान में-

बीजेपी- ओपी चौधरी

कांग्रेस- उमेश पटेल

आम आदमी पार्टी- अमर अग्रवाल

प्रत्याशियों की शैक्षणिक योग्यता

ओपी चौधरी- बीएससी

उमेश पटेल- इंजीनियरिंग

अमर अग्रवाल- एमबीए

मतदाता-

कुल मतदाता- 2 लाख 518

पुरुष मतदाता- 1 लाख 907

महिला मतदाता- 99 हजार 587

थर्ड जेंडर मतदाता- 24

2013 के नतीजे

कांग्रेस के उमेश पटेल को 95470 वोट मिले थे.

बीजेपी के जवाहर लाल नाइक को 56582 वोट मिले थे.

जनता के स्थानीय मुद्दे- खरसिया विधानसभा क्षेत्र में जनता का चुनावी मुद्दा है अस्पताल में डॉक्टरों का कमी, क्षेत्र के युवाओं को रोजगार दिलाना, आउट सोर्सिंग को बंद कर स्थानीय युवक युवतियों को रोजगार देना.

क्या कहता है चुनावी समीकरण-

खरसिया सीट पर मुकाबला किसी पार्टी के लिए आसान नहीं है. कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी तीनों ने ही अपने युवा प्रत्याशियों को टिकट दिया है. मैदान में एक तरफ कांग्रेस के दिग्गज नेता का बेटा है तो दूसरी ओर एक पूर्व आईएएस अफसर. तीनों ही प्रत्याशी उच्च शिक्षा प्राप्त किए युवा हैं. जनता भी तय नहीं कर पा रही कि परंपरानुसार वोट करें या बीजेपी के दांव पर अपना मतदान करें.

कांग्रेस- खरसिया विधानसभा सीट पर अगर गौर करें तो इस सीट पर हमेशा से पटेल समाज का प्रत्याशी ही विधायक रहा है. इस सीट पर कांग्रेस के नंदकुमार पटेल 5 बार विधायक रह चुके हैं. तो वहीं उनके बाद छोटे बेटे उमेश को जनता ने अपना पूरा समर्थन दिया और 2013 के विधानसभा चुनाव में भारी मतों से जीत दिलाई. उमेश के 5 साल के कार्यकाल से जनता यहां संतुष्ट दिखाई दे रही है. वहीं नंदकुमार पटेल और दिनेश पटेल की ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी पकड़ रही है. इसके अलावा श्रीमति नीला देवी नंदकुमार पटेल और श्रीमति भावना दिनेश पटेल द्वारा महिला मतदाताओं का समर्थन हासिल करना कांग्रेस की जीत आसान कर सकता है.

बीजेपी- इस सीट पर बीजेपी ने ओपी चौधरी पर दांव लगाया है. क्योंकि ओपी मूल रूप से खरसिया के ही निवासी है. वह भी अघरिया (पटेल) समाज से हैं. उन्होने खरसिया से लगे जांजगीर जिले में कलेक्टर रहते हुए कई नई योजनाओं का क्रियान्वन किया. युवाओं की पढ़ाई लिखाई के लिए कई काम किए. बिहार के सुपर-30 के संस्थापक आनंद को बुलाकर जांजगीर के बच्चों को टिप्स दिए. कलेक्टर रहते हुए ओपी चौधरी अघरिया समाज के युवाओं के रोल मॉडल के रुप में देखे जाते रहे हैं. कलेक्टर रहते हुए उनका काम काबिले तारिफ रहा. भाजपा प्रत्याशी ओपी चौधरी ने क्षेत्र की जनता के बीच अपनी पैठ बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है.

आम आदमी पार्टी- आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी अमर अग्रवाल आदिवासी अंचल बरगढ़ खोला, खरसिया नगरीय क्षेत्र सहित सूपा मंडल एवं रायगढ़ पश्चिम क्षेत्र में अपना पूरा जोर लगा रहे हैं. जिससे यह सपष्ट अनुमान लगाया जा सकता है इन्हे मिलने वाले वोट और उससे पड़ने वाला अंतर दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशियों का खेल या तो बना देगा या तो बिगाड़ देगा इसमें कोई दो राय नहीं.

यहां सबसे दिलचस्प बात यह देखने को मिल रही है कि दोनों प्रमुख पार्टियों के प्रत्याशियों के बीच आम आदमी पार्टी के युवा प्रत्याशी अमर अग्रवाल भी अपने पूरे दम खम से ताल ठोकते नज़र आ रहे हैं. जिससे क्षेत्र की जनता में भी कौतुहल बना हुआ है कि इस बार खरसिया का सिरमौर कौन होगा क्योंकि एक तरफ उमेश पटेल का जोर है तो दूसरी तरफ ओपी चौधरी भी कम नहीं.