देव उठनी एकादशी पर खाटू श्याम बाबा का जन्मदिन मनाया जाता है. आज 23 नवंबर दिन गुरुवार को ये तिथी है. खाटू श्याम के भक्त केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हैं. राजस्थान में स्थित बाबा के मंदिर में बाबा के दर्शन के लिए लंबी लंबी कतारें लगती हैं. बहुत से लोग जब मन्नत मांगने जाते हैं या मन्नत पूरे होने के बाद जाते हैं तब श्याम बाबा पर निशान चढ़ाते हैं और वह निशान होता है झंडा.

निशान का क्या मतलब है

खाटू श्यामजी को निशान चढ़ाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और यह निशान बेहद पवित्र माना जाता है. खाटू श्याम पर जो निशान चढ़ाया जाता है, उसे झंडा कहते हैं. सनातन धर्म में ध्वज को विजय के प्रतीक के तौर पर माना जाता है. साथ ही यह निशान श्याम बाबा द्वारा दिया गया बलिदान और दान का प्रतीक माना जाता है. क्योंकि भगवान कृष्ण के कहने पर धर्म की जीत के लिए उन्होंने अपना शीश समर्पित कर दिया था और युद्ध का श्रेय भगवान कृष्ण को दिया था. Read More – Tulsi Vivah 2023 : कब है तुलसी विवाह, जानें पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व और तिथि …

कैसा होता है निशान?

श्याम बाबा के ध्वज का रंग केसरिया, नारंगी और लाल रंग का होता है, निशान पर कृष्ण और श्याम बाबा के चित्र और मंत्र अंकित होते हैं. कुछ निशानों पर नारियल और मोर पंख भी अंकित होता है. मान्यता है कि इस निशान को चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सब मंगल ही मंगल रहता है. खाटू श्याम पर ध्वज चढ़ाने से पहले उसकी विशेष पूजा अर्चना की जाती है और खाटू श्याम की यात्रा के समय जहां जहां जाते हैं, उस ध्वज अपने हाथ में ही रखते हैं. वर्तमान समय में भक्त सोने चांदी के बने निशान भी चढ़ाते हैं. Read More – बैक लेस टॉप में नजर आईं Urfi Javed

क्या है निशान यात्रा?

निशान यात्रा में नंगे पांव चलकर भगवान के मंदिर तक पहुंचकर निशाना चढ़ाना बहुत उत्तम माना जाता है. वर्तमान समय में खाटू श्यामजी के भक्तों की संख्या बढ़ती जा रही है और इसी को ध्यान में रकते हुए अब यह निशान यात्रा प्रत्येक मास के शुकल पक्ष की एकादशी को चढ़ाया जा सकता है. लेकिन सबसे ज्यादा निशान फाल्गुन मास में लगने वाले मेले में चढ़ाए जाते हैं. निशान यात्रा एक तरह से पदयात्रा होती है, जिसमें भक्त अपने हाथों में श्रीश्याम ध्वज को पकड़कर खाटू श्याम मंदिर तक आते हैं. इस यात्रा को श्रीश्याम ध्वज का निशान भी कहा जाता है. मुख्यत: यह यात्रा रींगस से खाटू श्याम मंदिर तक की जाती है, जो 18 किमी. की होती है.