Khatu Shyam Ji Janmotsav: आज खाटू नगरी में भक्ति का सागर उमड़ा हुआ है. हर ओर “हारे का सहारा, बाबा श्याम हमारा” की गूंज है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिन खाटू श्याम बाबा के दरबार में लाखों सिर झुकते हैं, उनका असली नाम बार्बरीक था. वे महाभारत के सबसे वीर योद्धाओं में से एक थे, जिनकी कथा आज भी आस्था, साहस और त्याग का प्रतीक है.

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Khatu Shyam Ji Janmotsav
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कहानी महाभारत काल की है. बार्बरीक, घटोत्कच और नागकन्या मोरवी के पुत्र थे. भगवान शिव और देवी कात्यायनी से वरदान पाकर उन्होंने तीन अभेद्य बाण प्राप्त किए. यही वे तीन तीर हैं जो आज भी श्याम बाबा की पहचान हैं. बार्बरीक ने प्रतिज्ञा ली थी कि वे हमेशा युद्ध में कमजोर पक्ष का साथ देंगे. जब महाभारत का युद्ध शुरू हुआ, तो श्रीकृष्ण ने उनसे पूछा यदि तुम युद्ध में उतरोगे, तो कौन जीतेगा? बार्बरीक ने उत्तर दिया मेरा एक बाण ही पूरी सेना को समाप्त कर देगा.

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यह सुनकर श्रीकृष्ण ने उनसे दान में उनका शीश मांगा. बिना किसी विचार के बार्बरीक ने अपना सिर भेंट कर दिया. युद्ध समाप्त होने के बाद, उसी सिर से युद्ध का पूरा दृश्य देखा गया. श्रीकृष्ण उनके त्याग से प्रसन्न हुए और आशीर्वाद दिया कलियुग में तुम मेरे नाम से पूजे जाओगे, और जो भी हार मान चुका होगा, तुम्हारे दर पर सहारा पाएगा.

Khatu Shyam Ji Janmotsav. यही बार्बरीक आगे चलकर खाटू श्याम कहलाए. आज भी सैकड़ों साल पुराना खाटू मंदिर इस अमर कथा का साक्षी है. जहां हर भक्त को लगता है कि बाबा आज भी वहीं विराजमान हैं, मुस्कुराते हुए कहते हैं “हार मत मानो, मैं हूं तुम्हारे साथ.”

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