राजस्थान के सीकर के खाटू श्याम यजी मंदिर में फाल्गुन महीने की शुरुआत के साथ ही दुनियाभर के भक्तों का आना शुरू हो गया है. आने वाली 22 फरवरी को लक्खी मेला शुरू हो जाएगा. मेले के चलते यहां लाखों भक्त हाथों में निशान लेकर पहुंचते हैँ. झुंझुनूं जिले के सूरजगढ़ से खाटू पहुंचने वाली निशान पदयात्रा खाटू श्याम प्रेमियों के बीच बेहद प्रसिद्ध है. इस यात्रा में शामिल होने और दर्शन करने के लिए भक्त देश-विदेश से आते हैं.

हर साल की तरह इस साल भी फाल्गुन मेले के दौरान सूरजगढ़ निशान यात्रा का आयोजन किया जाएगा. यह निशान पदयात्रा फाल्गुन शुक्ल छठी और सप्तमी को सूरजगढ़ से प्रस्थान करेगी और द्वादशी के दिन इन निशान को मंदिर शिखर पर चढ़ाएंगे. Read More – Aamir Khan के साथ काम कर चुकीं इस एक्ट्रेस का हुआ निधन, इस फिल्म निर्माता की थीं बहन …

327 साल से जारी है यह अनूठी परंपरा

पदयात्राओं में यह यात्रा सबसे अलग और अनूठी है. इस यात्रा की सबसे खास बात यह है कि इस पदयात्रा में शामिल होने वाली महिलाएं हाथों में निशान लेने के साथ सिर पर सिगड़ी रखकर चलती हैं. मान्यता है कि जिस महिला की बाबा से की गई मनोकामना पूरी हो जाती है वो अपने सिर पर सिगड़ी रखकर मंदिर पहुंचती है और बाबा को अर्पित करती है. बाबा के मंदिर पहुंचने वाले निशान में सूरजगढ़ का निशान ही बाबा के मंदिर शिखर पर चढ़ता है.

अंग्रेजों ने लगा दिया था मंदिर में ताला

माना जाता है कि सूरजगढ़ से खाटू तक पहुंचने वाली यह निशान पदयात्रा करीब 327 साल पुरानी है. सर्वप्रथम विक्रम संवत 1752 में अमरचंद भोजराजका परिवार ने इस पदयात्रा की शुरूआत की थी. बताते हैं कि उस वक्त अंग्रेजी हुकूमत ने खाटू श्याम मंदिर के बाहर ताला लगा दिया था. तब इसी निशान की अगुवाई कर रहे सांवलाराम के कहने पर एक भक्त मंगलाराम ने मोरपंख से ताला तोड़ दिया था. तब से अब तक यह पदयात्रा हर साल आयोजित की जाती है. Read More – वैलेंटाइन डे : वॉट्सएप के इन खास स्टिकर्स से करें अपने प्यार का इजहार…

90 घंटे में पूरी होती है 150 किलोमीटर की यात्रा

सूरजगढ़ से शुरू होकर गुढ़ा होते हुए खाटू पहुंचने वाली पदयात्रा करीब 150 किलोमीटर का सफर 90 घंटे में पूरा करती है. यात्रा में शामिल महिलाएं बाबा के भजनों पर झूमते हुए आगे बढ़ती हैं. यात्रा में भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है. जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ती है वैसे-वैसे भक्तों की संख्या में भी बढ़ोतरी होती है. अनुमान के मुताबिक, करीब 10 हजार भक्त इस पदयात्रा में शामिल होते हैं. इस पदयात्रा में कई ऊंट गाडिय़ां भी शामिल होती है.