मानसून में मिलने वाली सब्जी ककोड़ा (खेखसा) के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. यह दुनिया का सबसे शक्तिशाली फल माना जाता है. ककोड़ा में अद्भुत औषधीय गुण पाए जाते हैं. आयुर्वेद में खेखसा को एक औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है. ककोड़ा (Kheksa) से बनी औषधि श्वास प्रणाली समंधी रोग, मूत्र विकार, बुखार, सूजन आदि में बहुत उपयोगी मानी जाती है. इसके साथ ही आज के समय में जितने भी रोग जिन का इलाज रेगुलर लेना पड़ता है उन बीमारियों में भी इसकी सब्जी का सेवन साल में एक बार करने से बहुत ज्यादा लाभ मिलता है. राजस्थान में लोग इसे किंकोड़ा के नाम से जानते हैं. ककोड़ा या खेखसा अधिकतर पहाड़ी जमीन में पैदा होता है. यह बरसात के मौसम में होने वाला साग है.
मीट से 50 गुना ज्यादा ताकत और प्रोटीन होता है
डॉक्टरों का कहना है कि बारिश के सीजन में आने वाली हर सब्जी में कीटनाशक उपयोग होता है, लेकिन ककोड़ा पूरी तरह जैविक होता है. इसमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन व आयरन होता है, इसीलिए यह सेहत के लिए मीट से कई गुना ताकतवर है. इसके लिए कहा जाता है कि इसमें मीट से 50 गुना ज्यादा ताकत और प्रोटीन होता है. ककोड़ा में मौजूद फाइटोकेमिकल्स स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में काफी मदद करता है. यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर सब्जी है. यह शरीर को साफ रखने में भी काफी सहायक है.
खुद ही उगना हो जाती है शुरू
इसके फल के साथ अच्छी बात ये है कि एक बार इसकी खेती करने के बाद यह खेत में खुद से ही उगने लगती है. बार बार इसकी बुआई की जाती है. बारिश में ये खुद ही हो जाते हैं. जैसे ही बारिश होती है, इसकी बेल अपने आप जंगलों और खेतों में किनारे दिखने लगती है. इसी कारण एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट भी इसके बीज नहीं रखता है. केवल जंगल से ही इसकी सप्लाई होती है. जंगल में ही ककोड़ा की पैदावार होती है. सीजन खत्म होते ही पके ककोड़े के बीज गिर जाते हैं और जैसे ही पहली बारिश होती है, ककोड़े की बेल जंगल में दिखने लगती है. इसको जंगल से आसानी से प्राप्त किया जा सकता है.
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