Khesari Lal Yadav on Prashant Kishore: जन सुराज प्रमुख प्रशांत किशोर बीपीएससी की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को रद्द कराने की मांग को लेकर आमरण अनशन पर हैं. फिलहाल इन दिनों उनकी तबीयत खराब है और वह अस्पताल में भर्ती हैं. इन सबके बीच भोजपुरी के हिट मशीन कहे जाने वाले खेसारी लाल यादव ने भी इस मुद्दे पर बिना नाम लिए प्रशांत पर जमकर हमला बोला है.

बस एक बार बिहारी बन जाओ- खेसारी

खेसारी लाल यादव ने आज गुरुवार (9 जनवरी) को एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि, पिछले कुछ समय से यह सवाल उठ रहा है कि खेसारी ग्राउंड पर क्यों नहीं आया? इसका जवाब अब स्पष्ट हो गया न! खेसारी अगर ग्राउंड पर आता, तो खेसारी को मीडिया पहले दिखाती, आपको और आंदोलन को बाद में! आपके मुद्दे दब जाते और खेसारी को मीडिया हाईलाइट कराती. यह ठीक वैसे ही हुआ जैसे आज बीपीएससी का अहम मुद्दा पीछे चला गया आ मीडिया किसी और को दिखा रही है.

खेसारी ने आगे लिखा कि, सोचिए, आज बीपीएससी के मुद्दे को कितनी मीडिया कवरेज मिल रही है? हर तरफ बस एम्बुलेंस, हॉस्पिटल, थाना और जो नए नए नेता बने है, उनकी खबरें छप रही हैं. यह वही स्थिति है, जिसके बारे में हम पहले से आगाह किये थे, “अपना झंडा और डंडा लेकर आगे बढ़ो! लेकिन आज हम दूसरों के झंडे के पीछे चले और नतीजा यह हुआ कि #BPSC का मूल मुद्दा कहीं खो गया. इसलिए सवारी नहीं, गाड़ी बन जाओ, #बिहार के लिए बस एक बार #बिहारी बन जाओ!

जिसका डर था वही हुआ- खेसारी

बता दें कि खेसारी लाल यादव बीपीएससी आंदोलन को लेकर लगातार सक्रिय रहे हैं. इससे पहले उन्होंने सोमवार (6 जनवरी) को एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा था कि, जिसका डर था, वही हुआ. कल नेता फिर अपना नया ठिकाना खोज लेंगे, कोचिंग वाले का दुकान चलने लगा होगा. मीडिया फिर कहीं ब्रेकिंग चला देगी, लेकिन… बस बिहार के छात्र ही पिसे और आगे भी पिस रहे हैं. एक आंदोलन को कुचल दिया इन सबने मिलकर लानत है.

मैं नौकरी नहीं दे सकता- खेसारी

एक और पोस्ट में खेसारी लाल यादव ने लिखा था कि, ना जात हूं, ना पात हूं. मैं बिहार के हमारे उज्जवल भविष्य के साथ हूं! आप जहां खोजिएगा, वहां आपको खेसारी आपकी आवाज बनकर खड़ा मिलेगा. मैं ना नौकरी दे सकता हूं, ना घर में अनाज पंहुचा सकता हूं, लेकिन मैं अपनी क्षमता अनुसार हर उस ममता और अपने भाइयों का आवाज जरूर बन सकता हूं.

‘अलग कर देती हैं जात-पात की दिवारें’

खेसारी ने आगे लिखा कि, हम जब हम दूसरे राज्यों में होते हैं, तो हम बिहारी होते हैं, लेकिन जब अपने घर बिहार में आते हैं, तो जात-पात की दीवारें हमें अलग-अलग कर देती हैं. इसका राजनीतिकरण होने से बचिए और बचाइए, बात बिहार के आने वाले कल की है! मैं एक अनपढ़ होकर जाग गया, पर मेरा सवाल उन सबों से है जो पढ़े-लिखे हैं, वो कब जागेंगे? अब वक्त आ गया है कि हम सब मिलकर बिहार को उन्नति की ओर ले जाएं. भगाओ, भागो मत!.

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