Kinner Kailash Yatra: हिमालय की बर्फीली चोटियों में कई देव स्थान हैं. इनकी धार्मिक मान्यताएं भी बहुत अधिक है. ऐसा ही एक पर्वत है, किन्नर कैलाश. किन्नर कैलाश हिमाचल के किन्नौर जिले में स्थित है. ये शिवलिंग 79 फिट ऊंचा है. इसके आस-पास बर्फीले पहाड़ों की चोटियां हैं. जो इसकी खूबसूरती की में चार चांद लगाते हैं.

 अत्यधिक ऊंचाई पर होने के कारण किन्नर कैलाश शिवलिंग चारों ओर से बादलों से घिरा रहता है. ये हिमाचल के दुर्गम स्थान पर स्थित है, इसलिए यहां पर ज्यादा लोग दर्शन के लिए नहीं आते हैं. किन्नर कैलाश का प्राकृतिक सौंदर्य मंत्र मुग्ध कर देने वाला है.

किन्नर कैलाश यात्रा दो साल बाद 1 अगस्त से शुरू हो रही है और 15 अगस्त तक की जाएगी.

 हिमाचल प्रदेश के पर्यटन अधिकारियों के मुताबिक किन्नर कैलाश यात्रा की ऑनलाइन बुकिंग आरंभ हो चुकी है तथा अधिकतर स्लॉट बुक हो चुके हैं तथा ऑफलाइन पंजीकरण केवल 25 यात्रियों का होगा.

जाने Kinner Kailash के बारे में कुछ रोचक बातें

  • किन्नर कैलाश शिवलिंग का आकार त्रिशूल जैसा लगता है. किन्नर कैलाश पार्वती कुंड के काफी नजदीक है जिस वजह से भी इसकी मान्यता बहुत अधिक है.
  • किन्नर कैलाश की खास बात ये है कि यहां पर स्थित शिवलिंग बार-बार रंग बदलता है. कहा जाता है कि यह शिवलिंग हर पहर में अपना रंग बदलता है. सुबह के समय इसका रंग अलग होता है और दोपहर के समय सूरज की रोशनी में इसका रंग बदला हुआ दिखता है और शाम होते ही इसका रंग फिर से बदल जाता है.
  • यहां पर ट्रेकिंग करने का सबसे अच्छा समय मई से अक्टूबर तक होता है क्योंकि इस समय इसकी खूबसूरती अलग ही होती है और दूसरी बात सर्दियों के महीने में यहां बर्फ बहुत रहती है, जिस वजह से  ट्रेकिंग करना आसान नहीं. यहां पर बारिश भी बहुत ज्यादा होती है जिस वजह से मानसून में यहां आने के लिए मना किया जाता है.
  • यहां पर चढ़ाई करना बेहद मुश्किल है. क्योंकि यहां 14 किलोमीटर लंबे इस ट्रेक के आस-पास बर्फीली चोटियां हैं. लेकिन यहां कि खूबसूरती देखते ही बनती है. यहां के सेब के बगान के साथ यहां की सांग्ला और हंगरंग वैली के नजारो की बात ही अलग है. इस ट्रेक का सबसे पहला पड़ाव तांगलिंग गांव जो सतलुज नदी के किनारे बसा है. यहां से 8 किलोमीटर दूर मलिंग खटा तक ट्रेक करके जाना पड़ता है. इसके बाद 5 किलोमीटर दूर पार्वती कुंड तक जाते हैं. यहां से तकरीबन एक कलोमिटर की दूरी पर किन्नर कैलाश स्थित है.
  • माना जाता है कि यहां पर जो पार्वती कुंड स्थित है वह कुंड देवी पार्वती ने खुद बनाया था. यहां पर पूरी तेयारी के साथ आना चाहिए क्योंकि यहां पर ट्रेक करना बहुत मुश्किल होता है. इसलिए किसी स्थानीय गाइड को अपने साथ ले सकते हैं.