Transgender Funeral News: हिंदू धर्म की मान्यता (belief of Hinduism) के अनुसार ऐसा माना जाता है कि किन्नरों की प्रार्थना (prayers of kinnar) में बहुत शक्ति होती है. हिंदू धर्म में जब कोई सुबह का काम होता है, तो हम किन्नरों (Transgenders tradition) को जरूर बुलाते हैं. आपने देखा होगा कि जब किसी के घर में बच्चा होता है, तो ढेर सारी बधाइयां दी जाती हैं. साथ ही किन्नरों का आशीर्वाद भी लिया जाता है.

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वहीं जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो आप देखते हैं कि उनके अंतिम संस्कार (Transgenders funeral) में हजारों की संख्या में लोग जुटते हैं. हजारों लोग श्मशान घाट पहुंचकर शव का अंतिम संस्कार (Transgenders funeral) करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस समाज में जब किसी किन्नर की मौत (kinnar death rituals हो जाती है. समाज, उसका अंतिम संस्कार रात में ही क्यों किया जाता है ? इसके अलावा मरने के बाद किन्नर समाज भी जश्न मनाता है. लाश को जूते-चप्पल से भी पीटा जाता है, आखिर आज हम विस्तार से जानेंगे कि किन्नर समाज ऐसा क्यों करता है.

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आखिर क्यों करते हैं रात में अंतिम संस्कार?

किन्नरों के अनुसार उन्हें अपनी मृत्यु का ज्ञान हो जाता है, जिसके बाद वह खाना बंद कर देता है और कहीं बाहर नहीं जाता है. इस दौरान वह भगवान से विलीन हो जाता है और भगवान से प्रार्थना करता है कि इस जन्म में किन्नर तो हुए हैं, लेकिन अगले जन्म में हमें किन्नर न बनाएं. शव को जलाने की बजाय दफना देते हैं.

वे शव को कफन से लपेटते हैं, लेकिन किसी चीज से नहीं बांधते, उनका मानना ​​है कि ऐसी स्थिति में आत्मा का मुक्त होना मुश्किल है, इसलिए केवल कफन जलाया जाता है.

किन्नर समाज का मानना ​​है कि हम सभी रात में अंतिम क्रिया करते हैं, ताकि कोई भी इंसान इसे न देख सके क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर कोई व्यक्ति किसी किन्नर के शरीर को देखेगा तो वह अगले जन्म में हिजड़ा बनेगा. इसी वजह से पूरी आखिरी क्रिया रात में की जाती है.

क्या शव को पीटते भी है किन्नर ?

मौत के बाद किन्नरों ने शव को जूते-चप्पल से पीटा. उनका मानना ​​है कि अगले जन्म में उन्हें इस योनि में जन्म नहीं लेना चाहिए. इसके अलावा वह अपने प्रिय देवता का बहुत ध्यान करते हैं और साथ ही साथ दान भी करते हैं. ईश्वर से प्रार्थना है कि अगले जन्म में हमें यह नर्क जैसा जीवन न मिले. वहीं, वह 1 हफ्ते तक भूखा रहता है.

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