इंटरटेनमेंट डेस्क. चलते चलते मेरे ये गीत याद रखना” 1976 की बॉलीवुड फिल्म “चलते चलते” का एक लोकप्रिय हिंदी गीत है. किशोर कुमार के उन अनगिनत गीतों में से एक है. जिसे जब भी कोई गुनगुनाता है…पहले किशोर दा की यादों को ताजा कर देता है.
बहुमुखी प्रतिभा के धनी किशोर कुमार ना केवल एक बेहतरीन गायक बल्कि संगीतकार, लेखक, निर्माता और निर्देशक थे. उनका जन्म 4 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा में हुआ था. किशोर कुमार का असली नाम आभास कुमार गांगुली था. किशोर कुमार का निधन आज ही के दिन यानी 13 अक्तूबर 1987 को हुआ था.
कहते हैं मौत से पहले उन्हें आभास हो गया था कि जल्दी ही वो दुनिया को अलविदा कहने वाले हैं. किशोर कुमार के बेटे अमित कुमार ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘उस दिन उन्होंने सुमित (अमित का सौतेला भाई) को स्वीमिंग के लिए जाने से रोक दिया था और वो इस बात को लेकर भी काफी चिंतित थे कि कनाडा से मेरी फ्लाइट सही वक्त पर लैंड करेगी या नहीं. उन्हें हार्ट अटैक संबंधी कुछ लक्षण तो पहले से ही दिख रहे थे, लेकिन एक दिन उन्होंने मजाक किया कि अगर हमने डॉक्टर को बुलाया तो उन्हें सच में हार्ट अटैक आ जाएगा और अगले ही पल उन्हें सच में अटैक आ गया.’ निधन के बाद किशोर कुमार का अंतिम संस्कार खंडवा में ही हुआ.
धनी परिवार में जन्मे किशोर कुमार का बचपन से एक ही सपना था. किशोर अपने बड़े भाई अशोक कुमार से ज्यादा पैसे कमाना चाहते थे. उनके पसंदीदा गायक केएल सहगल थे. किशोर हमेशा से उन्हीं की तरह बनना चाहते थेे. किशोर चार भाई-बहनों अशोक कुमार, सती देवी, अनूप कुमार में सबसे छोटे थे.
70 और 80 के दशक में किशोर कुमार सबसे महंगे सिंगर थे. उन्होंने उस वक्त के सभी बड़े कलाकारों के लिए अपनी आवाज दी. खासकर राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन के लिए उनकी आवाज बेहद पसंद की जाती थी. राजेश खन्ना को सुपरस्टार बनाने में किशोर का बड़ा योगदान माना जाता है.
मुंबई में रहने के बावजूद किशोर कुमार का मन हमेशा अपने जन्म स्थान खंडवा में रमा रहा. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि ‘कौन मूर्ख इस शहर में रहना चाहता है. यहां हर कोई दूसरे का इस्तेमाल करना चाहता है. कोई दोस्त नहीं है. किसी पर भरोसा नहीं कर सकते हैं. मैं इन सबसे दूर चला जाऊंगा. अपने शहर खंडवा में. इस बदसूरत शहर में भला कौन रहे.’