दक्षिण भारतीय व्यंजन में राइस अप्पे सबसे स्वादिष्ट व्यंजनों में से एक हैं. अप्पे एक ऐसी डिश है, जो दक्षिण भारतीय घरों में प्रमुख रूप से खाई जाती है. यह एक प्रकार का पैनकेक है जो चावल, नारियल और दूध के साथ बनाया जाता है. आमतौर पर अप्पे को नाश्ते या रात के खाने में खाया जाता है. अप्पे बाहर से कुरकुरे लेकिन अंदर से मुलायम और स्पंजी होते है. यह बनाने में आसान लेकिन इडली और डोसा की तुलना में थोड़ा अधिक स्वादिष्ट राइस अप्पे दक्षिण भारत में शाम के नाश्ते के रूप में भी खाया जाता है. राइस अप्पे को सांभर और नारियल की चटनी के साथ परोसा जाता है. आप चाहे तो इसे गरमागरम चाय या कॉफी के साथ भी खा सकते हैं. अगर आप इसे घर पर बना रहे हैं, तो सामग्री का सही संतुलन बनाना काफी मुश्किल हो जाता है. इसलिए अगर आपको घर पर अप्पे बनाने में परेशानी हो रही है, तो यहां हम आपके लिए कुछ उपयोगी टिप्स लेकर आए हैं, जो अगली बार जब आप अप्पम बनाने का विचार करें तो ये टिप्स आपके काम आएंगे. Read More- Beauty Tips for Working Women: आप भी हैं वर्किंग वुमन, तो आपके बैग में जरूर होनी चाहिए ये 4 जरूरी चीजें

कच्चे चावल का करें इस्तेमाल

क्या आप अप्पे बनाते समय चावल की गुणवत्ता पर ध्यान देते हैं? अगर नहीं, तो अब अप्पे बनाते समय यह जरूर करें. अप्पे बनाते समय कच्चे चावल का उपयोग करना सबसे अच्छा होता है, क्योंकि यह अप्पे को एक अच्छा सफेद रंग देता है और इसके स्वाद को बढ़ाने में भी मदद करता है.

अप्पे बनाने से पहले चावल भिगो दें

अप्पे बनाते समय चावल को अच्छी तरह से पानी से साफ कर लें. अप्पे के लिए बैटर बनाने से पहले चावल को कम से कम 7-8 घंटे के लिए भिगो दें. उसके बाद ही अप्पे का बैटर तैयार करें. ऐसा करने से आपके अप्पे सॉफ्ट और स्पंजी बनेगें.

चावल का बैटर पीसते समय नारियल पानी डालें

रात के भीगे हुए चावल को पीसते समय सादे पानी की जगह नारियल पानी का इस्तेमाल करें. हालांकि, ऐसा करते समय यीस्ट की मात्रा (यदि हो तो) कम कर दें. आप चावल का बैटर पीसते समय मेथी पाउडर या थोड़े पके हुए चावल भी डाल सकते हैं, क्योंकि इससे अप्पे नरम हो जाते हैं.

फर्मेंटेशन के बाद बेकिंग सोडा डालें

अप्पे के बैटर को फरमेंट हो जाने के बाद, अप्पे बनाने से 30 मिनट पहले बैटर में बेकिंग सोडा के साथ आप ईनो को भी डाल सकते है. इस समय आप बैटर में 1-2 टेबल स्पून दूध भी डाल सकती हैं. यह बैटर को एक अच्छा रंग देता है और इसके पोषण मूल्य में भी वृद्धि करता है.