रायपुर। भगवान गणेश जिन्हें गजराज का रूप कहा जाता हैं. आज तक आप सभी ने भगवान गणेश को गजमुख रूप में ही देखा होगा लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां भगवान गणेश की गजरूपी मूर्ति नहीं बल्कि उनके असल चेहरे की मूर्ति स्थापित हैं. ये मंदिर तमिलनाडु में स्थित आदि विनायक मंदिर के नाम से जाना जाता हैं. यह मंदिर दूसरे मंदिरों से बिल्कुल अलग है.

यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है, जहां भगवान गणेश की मानव सिर के साथ पूजा की जाती है, जिसे भगवान शिव द्वारा सिर काटने से पहले का रूप कहा जाता है. यह भी माना जाता है कि यहाँ की मूर्ति की पूजा ऋषि अगस्त्य द्वारा संकष्ट हर चतुर्थी (बढ़ते चाँद के चौथे दिन) के दिन की जाती है. गणेश को यहां केवल दो भुजाओं के साथ देखा जाता है जो फिर से एक दुर्लभ घटना है क्योंकि उन्हें आम तौर पर चार भुजाओं के साथ देखा जाता है.

मान्यता है कि भगवान शंकर ने एक बार क्रोधित होकर भगवान गणेश की गर्दन को काट दिया था. इसके बाद भगवान श्री गणेश को गज का मुख लगा दिया गया. हर मंदिर में भगवान गणेश की गज रूप में प्रतिमा स्थापित है, लेकिन आदि विनायक मंदिर में भगवान गणपति के इंसान के चेहरे वाली प्रतिमा स्थापित है. गज मुख लगाए जाने से पहले भगवान का चेहरा का इंसान था, इसलिए विनायक मंदिर में उनके इस रूप की पूजा होती है.

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, प्रसिद्ध आदि विनायक मंदिर में भगवान राम ने पितरों की आत्मा की शांति के लिए भगवान गणेश की पूजा की थी. तब से ही इस मंदिर में पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा करने की मान्यता है. यह मंदिर तमिलनाडु के थिरुवरूर जिले के सेथलपति अग्रहारम, थिलथरपनपुरी, पूनथोत्तम, ननिलम तालुक, तिरुवरुर जिले में स्थित भगवान मुक्तेश्वर के परिसर में स्थित है.

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