रायपुर. स्त्रियों और कुंवारी कन्याओं के सौभाग्य से जुड़ा हरतालिका तीज व्रत बेहद अहम माना जाता है. सुहागिन महिलाओं का बेहद कठिन व्रत माना जाने वाला हरतालिका तीज बेहद असरदार होता है. पति के सौभाग्य या अच्छा पति पाने की कामना करने वाली लड़कियों के लिए यह व्रत काफी फलदायी है. इस दिन गौरी-शंकर की पूजा का विधान है. मान्यता है कि हरतालिका तीज का व्रत करने से सुहागिन महिला के पति की उम्र लंबी होती है जबकि कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है.
हरतालिका तीज का महत्व
सभी चार तीजों में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है. हरतालिका दो शब्दों से मिलकर बना है- हरत और आलिका. हरत का मतलब है ‘अपहरण’ और आलिका यानी ‘सहेली’. प्राचीन मान्यता के अनुसार मां पार्वती की सहेली उन्हें घने जंगल में ले जाकर छिपा देती हैं ताकि उनके पिता भगवान विष्णु से उनका विवाह न करा पाएं. सुहागिन महिलाओं की हरतालिका तीज में गहरी आस्था है. महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों को शिव-पार्वती अखंड सौभाग्य का वरदान देते हैं. वहीं कुंवारी लड़कियों को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है.
हरतालिका तीज कब है?
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हरतालिका तीज भाद्रपद यानी कि भादो माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है. इस बार हरतालिका तीज का व्रत 12 सितंबर को है.
हरतालिका तीज का व्रत कैसे करें?
हरतालिका तीज का व्रत अत्यंत कठिन माना जाता है. यह निर्जला व्रत है यानी कि व्रत के पारण से पहले पानी की एक बूंद भी ग्रहण करना वर्जित है. व्रत के दिन सुबह-सवेरे स्नान करने के बाद “उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये” मंत्र का उच्चारण करते हुए व्रत का संकल्प लिया जाता है.
हरतालिका तीज की पूजन सामग्री
हरतालिका व्रत से एक दिन पहले ही पूजा की सामग्री जुटा लें, गीली मिट्टी, बेल पत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल और फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनेऊ, वस्त्र, मौसमी फल-फूल, नारियल, कलश, अबीर, चंदन, घी, कपूर, कुमकुम, दीपक, दही, चीनी, दूध और शहद.
हरतालिका तीज के व्रत के नियम
– इस व्रत को सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं रखती हैं. लेकिन एक बार व्रत रखने के बाद जीवन भर इस व्रत को रखना पड़ता है.
– अगर महिला ज्यादा बीमार है तो उसके बदले घर की अन्य महिला या फिर पति भी इस व्रत को रख सकता है.
– इस व्रत में सोने की मनाही है. यहां तक कि रात को भी सोना वर्जित है. रात के वक्त भजन-कीर्तन किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत करने वाली महिला अगर रात को सो जाए तो वह अगले जन्म में अजगर बनती है.
– मान्यता है कि अगर व्रत करने वाली महिला इस दिन गलती से भी कुछ खा-पी ले तो वह अगले जन्म में बंदर बनती है.
– मान्यता है कि अगर व्रत करने वाली महिला इस दिन दूध पी ले तो वह अगले जन्म में सर्प योनि में पैदा होती है.