आम फलों का राजा होता है. तभी तो हम सभी उसके दीवाने हैं, लेकिन शायद ही कोई जानता होगा कि आमों का नाम कैसे पड़ा. लंगड़ा से लेकर दशहरी तक और तोतापुरी से लेकर केसर तक, हर आम के पीछे एक खास कहानी और बात है.

मुंबई. आपको जानकर यह आश्‍चर्य होगा कि मोदी से लेकर ऐश्‍वर्या जैसे मशहूर लोगों के नाम पर भी आम की किस्‍में विकसित हुई हैं. साथ ही इसके आकार, रंग और वजन में भी कुछ खास बात होती है. आइए जानते हैं आम से जुड़े कुछ रोचक फैक्‍ट्स…

कहां से आया लंगड़ा आम

लंगड़ा आम की किस्‍म करीब 250 साल पुरानी बताई जाती है. इसके नाम के पीछे भी एक रोचक कहानी प्रचलित है. कहते हैं 250 साल पहले बनारस के शिव मंदिर में एक लंगड़ा पुजारी था. एक दिन मंदिर में एक साधु आकर ठहरा. उसने मंदिर में आम के 2 पौधे लगाए. सालों बाद जब उन पर आम लगे तो लंगड़े पुजारी ने इन्‍हें भगवान शिव को अर्पित किया. दरअसल साधु ने पुजारी को आदेश दिया था कि यह आम किसी को न दिए जाएं, लेकिन काशी के राजा ने आम साधु से ले लिए. धीरे-धीरे आम की यह प्रजाति पूरे बनारस में फैल गई और लंगड़े पुजारी के नाम पर इसका नाम लंगड़ा पड़ गया. पश्चिम एशिया, बांग्‍लादेश और ब्रिटेन में इसका एक्‍सपोर्ट भी होता है.

लखनऊ के एक गांव से पैदा हुआ दशहरी

दशहरी आम का सबसे ज्यादा उत्‍पादन उत्‍तर प्रदेश में होता है. यहां हर साल करीब 20 लाख टन दशहरी आम पैदा होता है. कहते हैं कि दशहरी आम का पहला पेड़ लखनऊ के पास काकोरी स्‍टेशन से सटे दशहरी गांव में लगाया गया था. इसी गांव के नाम पर इसका नाम दशहरी आम पड़ा. कहते हैं कि वह पेड़ आज भी मौजूद है, जिस पर पहला दशहरी आम आया था. इसकी उम्र करीब 200 साल बताई जाती है. इसे ‘मदर ऑफ मैंगो ट्री’ कहा जाता है. इसके अलावा चौसा और एक दर्जन से अधिक किस्‍मों के नाम गांवों के नाम पर ही पड़े हैं.

हाथीझूल आम है सबसे भारी

आम के आकार की कहानी भी उतनी ही दिलचस्‍प है जितनी की इसके नामों की. आम ऐसा फल है जिसकी एक किस्‍म बेर के जितनी और एक बड़े तरबूज के जितनी है. सहारनपुर का हाथीझूल आम दुनिया का सबसे भारी आम है, जिसका वजन 3.5 किलोग्राम तक होता है. हाथीझूल आम का नाम सहारनपुर के एक किसान ने इसकी मोटाई को देखकर कहा था कि पेड़ पर हाथी झूल रहा है.

अलफांसो आम सबसे महंगा

दुनिया भर में भारत में पैदा होने वाले अलफांसो आम की अलग पहचान है. इसे सभी आमों का राजा भी कहा जाता है. अलफांसो ही एक ऐसा आम है जो तौल के साथ-साथ दर्जन में भी बिकता है. यह सबसे अधिक यूएसए को एक्‍स्‍पोर्ट होता है. कई देशों में इसके दाम और भी ज्‍यादा हो जाते हैं. वैसे अलफांसो को ब्रिटेन में भी उगाया जाता है. अलफांसो को भारत में हापुस आम भी कहा जाता है. यह लंगड़ा आम के बाद सबसे मीठा आम होता है.

तोतापरी

इस वैरायटी के आम की तोते की चोंच जैसी नोक और रंग के कारण इसे तोतापुरी या तोतापरी आम कहा जाता है.

सफेदा

इस आम का छिलका हल्की सफेदी लिए हुए होता है. इसलिए इसको सफेदा कहा जाता है.

सिंदूरी

आम की इस वैरायटी में छिलकों पर हरे रंग के अलावा सिंदूरी रंग भी दिखाई देता है. इसलिए इसे सिंदूरी कहा जाता है.

केसर

गुजरात में होने वाले इस आम के छिलकों का रंग केसरिया होता है. इसलिए इन आमों को केसर कहा जाता है.

आम की किस्‍में जो हैं शख्सियतों के नाम पर भी

आपको यह जानकर आश्‍चर्य होगा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर भी आम की एक किस्‍म विकसित की गई है. आम की सबसे ज्‍यादा 300 किस्‍में उगाने वाले लखनऊ स्थित मलिहाबाद निवासी कलीमुल्‍ला साहब ने यह नाम रखा है. कलीमुल्‍ला ने 13 किस्‍में खुद विकसित की हैं, जिनका नाम उन्‍होंने किसी न किसी शख्सियत के नाम पर रखा है. इनमें नमो (नरेंद्र मोदी) आम, अखिलेश आम, सचिन आम, ऐश्‍वर्या आम, अनारकली आम, नैनतारा आम और जहां आरा आम प्रसिद्ध हैं. हालांकि ये आम अभी इतने प्रसिद्ध नहीं कि हर कोई इन्‍हें जाने, लेकिन, कलीमुल्‍ला इन्‍हें इन्हीं नामों से एक्‍सपोर्ट भी करते हैं.

मैंगो प्रोडक्शन में भारत नंबर वन

आम के उत्पादन के मामले में भारत दुनिया का सरताज है. दुनियाभर में आम की करीब 1400 किस्‍में पाई जाती हैं, इनमें से 1 हजार किस्‍में भारत में पैदा होती हैं.