नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में किसानों के बवाल मचाने के बाद दम तोड़ रहे किसान आंदोलन को आंसू बहाकर नई दिशा देने वाले भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत कभी दिल्ली पुलिस का हिस्सा हुआ करते थे. किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे राकेश टिकैत अपने पिता के आंदोलन के दौरान दबाव बढ़ने पर नौकरी छोड़ किसानों के साथ हो लिए थे. आज वक्त ने फिर ऐसी करवट ली है कि राकेश टिकैत किसानों के मुद्दे पर दिल्ली पुलिस के सामने हैं.
दिवंगत किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के चार बेटों और दो बेटियों में से दूसरे नंबर के बेटे राकेश टिकैत का जन्म 4 जून 1969 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिला के सिसौली गांव में हुआ था. मेरठ यूनिर्सिटी से एमए करने के बाद एलएलबी की पढ़ाई पूरी की. राकेश टिकैत की शादी 1985 में बागपत जिले के दादरी गांव की बेटी सुनीता देवी से हुआ, जिनसे एक बेटा चरण सिंह और दो बेटियां सीमा और ज्योति हैं. तीनों बच्चों की शादी हो चुकी है.
बीकेयू के प्रवक्ता लेकिन लेते हैं तमाम निर्णय
पिता महेंद्र सिंह टिकैत की मौत के बाद भारतीय किसान यूनियन का दारोमदार भले ही उनके बड़े बेटे नरेंद्र सिंह टिकैत के हाथों में चली गई हो, लेकिन प्रवक्ता होने के बाद भी राकेश टिकैत ही संगठन को लेकर बड़े भाई से सलाह-मशविरा कर तमाम निर्णय लेते हैं. यही वजह है कि वर्तमान किसान आंदोलन में भी भारतीय किसान यूनियन का चेहरा राकेश टिकैत बने हुए हैं.
पिता के आंदोलन को खत्म करने का पड़ा था दबाव
राकेश टिकैत ने पढ़ाई पूरी करने के बाद 1985 में दिल्ली पुलिस में बतौर सब इंस्पेक्टर ज्वाइन किया था. 90 के दशक में दिल्ली के लाल किले में महेंद्र सिंह टिकैत की अगुवाई में किसानों का बड़ा प्रदर्शन हुआ. इस दौरान राकेश टिकैत पर अपने पिता का आंदोलन खत्म कराने के लिए दिल्ली पुलिस की ओर से काफी दबाव पड़ा. धर्म संकट को देखते हुए उन्होंने नौकरी छोड़कर किसानों के साथ होने का निर्णय लिया, जिसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा है.