रायपुर। नवरात्रि महापर्व पर माता रानी की पूजा अर्चना करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है. हिंदू धर्म में बताए गए मां के 9 स्वरूपों का अपना एक विशेष महत्व होता है. आज नवरात्रि के चौथे दिन मां नव दुर्गा के चौथे स्वरुप मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना करते हैं. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जब इस संसार में सिर्फ अंधकार था तब देवी कूष्मांडा ने अपने ईश्वरीय हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी. माता का यह स्वरूप देवी पार्वती के विवाह के बाद से लेकर संतान कुमार कार्तिकेय की प्राप्ति के बीच का है कूष्मांडा का निवास स्थल सूर्यलोक है. मां को कुम्हड़ा विशेष प्रिय होता है. मां कूष्मांडा आयु और यश में वृद्धि करने वाली हैं.
मां कूष्मांडा की पूजा विधि
कूष्मांडा देवी योग और ध्यान की देवी भी हैं. देवी का यह स्वरूप अन्नपूर्णा का भी है. उदराग्नि को शांत करने वाली देवी का मानसिक जाप करें. देवी कवच को पांच बार पढ़ना चाहिए. माता कुष्मांडा के दिव्य रूप को मालपुए का भोग लगाकर दुर्गा मंदिर में ब्राह्मणों को इसका प्रसाद देना चाहिए. इससे भक्तों की बुद्धि और कौशल का विकास होता है.
कूष्मांडा मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
स्तोत्र पाठ
दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।
जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहिदुःख शोक निवारिणीम्।
परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाभ्यहम्॥