नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच आखिरकार लंबी वार्ता के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य “गश्त व्यवस्था” पर समझौता हो गया. इस समझौते के बाद आने वाले सात से दस दिनों में जमीन पर लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में शेष प्रमुख टकरावों पर दोनों सेना गतिरोध खत्म हो जाएगा. हालांकि, यह एलएसी पर सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में पहला कदम ही है.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक सूत्र ने बताया, “चीन को आगे तैनात सैनिकों की वापसी और डी-एस्केलेशन की बाद की लंबी प्रक्रिया पर भी सहमत होना चाहिए, जो अप्रैल 2020 से पहले मौजूद यथास्थिति की बहाली के लिए जरूरी है.”
सूत्र ने कहा कि नए गश्त समझौते का मतलब है कि चीनी सैनिक रणनीतिक रूप से स्थित देपसांग मैदानों में ‘बॉटलनेक’ क्षेत्र में भारतीय सैनिकों को रोकना बंद कर देंगे, जो भारत के अपने क्षेत्र में लगभग 18 किमी अंदर है, इसके विपरीत दोनों पक्षों द्वारा स्थापित अस्थायी पदों/पोस्टों का स्थानांतरण किया जाएगा. दक्षिण में डेमचोक के पास चार्डिंग निंगलुंग नाला ट्रैक जंक्शन पर भी इसी तरह की वापसी की जाएगी.”
हालांकि, इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि सैन्य गतिरोध से कुछ किलोमीटर पीछे हटने की योजना से भारतीय सैनिकों को डेपसांग में अपने पारंपरिक गश्ती बिंदुओं (पीपी) 10, 11, 11ए, 12 और 13 तक “पूर्ण पहुंच” मिलेगी या नहीं, जो उत्तर में महत्वपूर्ण दौलत बेग ओल्डी और काराकोरम दर्रे की ओर है.
क्षेत्र में दोनों पक्षों के ओवरलैपिंग दावों के बीच सभी क्षेत्रों में गश्त की जाएगी, जिसकी आवृत्ति महीने में दो बार होगी. एक सूत्र ने कहा, “दोनों पक्ष गश्त का समन्वय करेंगे और टकराव से बचने के लिए इसे प्रत्येक 15 सैनिकों तक सीमित रखेंगे.” संयोग से चीन देपसांग क्षेत्र में 972 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अपना दावा करता है, जो तिब्बत को झिंजियांग से जोड़ने वाले उसके महत्वपूर्ण पश्चिमी राजमार्ग जी-219 के पास है.
दोनों सेनाओं ने पहले गलवान, पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट, कैलाश रेंज और बड़े गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में सैनिकों की वापसी के बाद, एलएसी के भारतीय हिस्से में 3 किमी से 10 किमी तक के नो-पेट्रोल बफर जोन बनाए थे, जिसमें आखिरी बार सितंबर 2022 में सेना की वापसी हुई थी. बफर जोन, जिन्हें अस्थायी व्यवस्था माना जाता था, और देपसांग और डेमचोक में टकराव का मतलब था कि भारतीय सैनिक पूर्वी लद्दाख में अपने 65 पीपी में से 26 तक नहीं पहुंच सकते थे, जो उत्तर में काराकोरम दर्रे से शुरू होकर दक्षिण में चुमार तक जाते हैं.
इस सवाल का भी कोई जवाब नहीं मिला कि क्या चीन अरुणाचल प्रदेश में भारत द्वारा कुछ रियायतें दिए जाने के बदले पूर्वी लद्दाख में नए गश्त समझौते पर सहमत हुआ है. इस पर रक्षा मंत्रालय की ओर से कोई बयान सामने नहीं आया है.
2020 में पूर्वी लद्दाख में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की कई घुसपैठों के बाद चीन ने LAC पर 50,000 से अधिक सैनिकों और भारी हथियार प्रणालियों को आगे तैनात किया था. इसके बाद बीजिंग ने LAC के पूर्वी क्षेत्र (सिक्किम, अरुणाचल) में 90,000 और सैनिकों को तैनात करके अपनी स्थिति को और मजबूत कर लिया. एक अन्य सूत्र ने कहा, “चीन ने LAC पर अपने सैनिकों को आगे तैनात करना जारी रखा है.”