प्रतीक चौहान. रायपुर. एक गर्भवती महिला को डॉक्टरों ने अबॉर्शन कराने की सलाह दी. मरीज और उनके परिजनों ने जो डॉक्टर रूटीन चेकअप कर रही थी, उन्होंने उसे कबीर नगर स्थित उपाध्याय हॉस्पिटल भेजा.
मरीज के परिजन के पास मौजूद बिल और रिपोर्ट के मुताबिक डॉ श्रेया और डॉ पूजा ने वहां मरीज को देखा. ओपीडी में कंसल्ट कराने के बाद मरीज को भर्ती कराया गया. जहां पहले दवाईयों से अबॉर्शन और फिर बाद में ऑपरेशन के माध्यम से अबॉर्शन की प्रक्रिया की गई.
लेकिन ऑपरेशन के दौरान मरीज के पेट में कुछ टीशू रह गए. जिसके बाद उन्हें बुखार आने लगा. इंफेक्शन हो गया, जिससे उनकी तबीयत खराब हो गई. मरीज इसके बाद अन्य डॉक्टर के पास पहुंचे. जहां पुनः सोनोग्राफी रिपोर्ट कराई गई. जहां पेट में टीशू छुटने की जानकारी मिली.
वहीं मरीज के परिजनों ने आरोप लगाया है कि उपाध्याय हॉस्पिटल में जिस डॉ पूजा का चार्ज लिया गया है, उन्हें परिजनों ने अस्पताल में 3 दिनों तक रहने के दौरान कभी नहीं देखा. अब परिजन इस पूरे मामले की शिकायत सीएमओ से करने पहुंचे है, इसके अलावा मेडिकल काउंसिल में भी पूरे मामले की शिकायत करने की तैयारी परिजनों ने की है. बता दें कि मरीज 18 जून से 20 जून तक अस्पताल में भर्ती थी. इस मामले में मरीज को चेकअप करने वाले डॉक्टरों से संपर्क किया गया. इस पर डॉ पूजा ने स्वीकार किया कि उन्होंने कभी पेशेंट को नहीं देखा. लेकिन उनके अधीन डॉ श्रेया है उन्होंने मरीज को देखे और बिल में केवल डॉ पूजा का नाम है, न कि डॉ श्रेया का.
उन्होंने बताया कि मरीज के गर्भ में जो बच्चा था वह खराब हो गया था, जिसके कारण डॉक्टरों ने ये सलाह दी थी. उन्होंने मरीज की डीएनसी की भी बात स्वीकारी. उन्होंने ये भी कहा कि मरीज 5 दिन बाद फॉलोअप में नहीं आया. जिससे उन्हें ये परेशानी की जानकारी आज लल्लूराम डॉट कॉम के माध्यम से मिल रही है. उन्होंने कहा कि डीएनसी क्लोज प्रोसिजर है. यदि किसी कारण से उसके कुछ अंश छूट गए हो तो उसे सैकेंड्री डीएनसी या दवाइयों से ठीक किया जा सकता है.
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