रायपुर। भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर से छत्तीसगढ़ में सत्ता पर काबिज़ होने के लिए एक बड़ा दांव खेला है. इस बार पार्टी ने एक महिला मंत्री की टिकट काटी तो वहीं 14 महिलाओं को टिकट भी दिया. एेसा छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार हुआ जब इतनी संख्या में महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया गया. 2013 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 10 महिलाओं को टिकट दिया था. 2018 के विधानसभा चुनाव में इस बार भी कुछ प्रत्याशियों को दुबारा टिकट दी गई है लेकिन आधे से ज्यादा महिलाएं राजनीति की मुख्य धारा से पहली बार जुड़ने वाली हैं.
2018 में इन महिला प्रत्याशियों को दिया गया मौका-
- कोंडागांव बस्तर- लता उसेंडी
- दुर्ग शहर- चंद्रिका चंद्राकर
- डोंगरगढ़- सरोजनी बंजारे
- तखतपुर- हर्षिता पांडे
- मरवाही- अर्चना पोर्ते
- चंद्रपुर- संयोगिता सिंह जूदेव
- सारंगढ़- केराबाई मनहर
- भटगांव- रजनी त्रिपाठी
- भरतपुर सोनहत- चंपादेवी पावले
- धमतरी- रंजना साहू
- खल्लारी- मोनिका साहू
- नगरी सिहावा- पिंकी शिवराज शाह
- धरमजयगढ़- लीनव राठिया
- मोहला मानपुर- कंचनमाला भूआर्य
2013 के विधानसभा चुनाव में इन्हे मिली थी टिकट-
- बस्तर कोंडागांव- लता उसेंडी
- डोंगरगढ़- सरोजनी बंजारे
- सारंगढ़- केराबाई मनहर
- बसना- कुमारी चौधरी
- बलौदा बाजार -लक्ष्मी बघेल
- दुर्ग ग्रामिण -रमशिला साहू
- लैलुंगा- सुनीति सत्यानंद राठिया
- भरतपुर सोनहत- चंपा देवी पावले
- बसना- रूप कुमारी चौधरी
- प्रेमनगर -रेणुका सिंह
क्या है महिला प्रत्याशियों को टिकट देने का समीकरण-
चुनाव में महिला प्रत्याशियों को बड़ी संख्या में टिकट दिए जाने का बड़ा कारण प्रत्याशियों की अच्छी छवि रही. जिन्हे टिकट दिया गया है उन महिला प्रत्याशियों की छवि अच्छी है और ये महिलाएं पहले भी पार्टी में प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष रूप से एक्टिव रहीं हैं.
- तखतपुर– यहां से हर्षिता पांडे को टिकट दिया गया है. हर्षिता राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रही हैं और जनता के बीच इनकी छवि साफ और दमदार है. तखतपुर से हर्षिता को टिकट देने का एक बड़ा कारण यह है कि तखतपुर में बड़ी संख्या में ब्राम्हण वोटर है जो जीत के लिए काफी अहम है.
- मरवाही– मरवाही को अजीत जोगी का गढ़ माना जाता है लेकिन इससे पहले मरवाही सीट पर भवर सिंह पोर्ते का सिक्का चलता था, इसलिए इस बार पार्टी ने उनकी बेटी अर्चना पोर्ते को इस सीट की जिम्मेदारी दी है अब देखना होगा कि मरवाही की जनता जोगी को चुनती है या फिर एक बार अपने पुराने नेता की बेटी पर अपना भरोसा जताती है.
- धमतरी– रंजना साहू को इस क्षेत्र से टिकट दी गई है रंजना इससे पहले जनपद पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं और यहां इनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है. अब देखना होगा कि रंजना पार्टी की उम्मीदोंं पर कितना खरी उतरती हैं.
- नगरी सिहावा– यह एक एेसी सीट है जहां महिला प्रत्याशी कड़ी टक्कर देती हैं. हालाकि 2013 के विधानसभा चुनाव में जीत बीजेपी के पाले में ही आई थी. लेकिन कांग्रेस की महिला प्रत्याशी ने श्रवण मरकाम को कड़ी टक्कर दी थी, इसलिए बीजेपी ने इस सीट पर महिला प्रत्याशी पिंकी शिवराज शाह को उतारना सही समझा.
- दुर्ग शहर– चंद्रिका चंद्राकर दुर्ग की मेयर हैं राजनीति की समझ रखती हैं और इस क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता भी है. साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि सरोज पांडे से करीबियों के चलते इन्हे टिकट दिया गया.
- चंद्रपुर– युद्धवीर सिंह जूदेव के आक्रामक बयानों से बीजेपी ने बचते हुए उनकी पत्नी संयोगिता को टिकट देना उचित समझा क्योंकि इस अपने क्षेत्र में संयोगिता काफी लोकप्रिय हैं और क्षेत्र की जनता के विकास के लिए एक्टिव रहती हैं. संयोगिता पद यात्रा कर क्षेत्र का भ्रमण कर लोगों को बीच पहुंच जाती है इसलिए यहां उनके जीतने की पूरी संभावना है.
- धरमजयगढ़- इस क्षेत्र की राजनीति हमेंशा से राठिया परिवार के इर्द गिर्द ही घूमती है. दो बार भाजपा को इस सीट पर जीत मिली थी लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बाजी मारी थी. बीजेपी को उम्मीद है कि पहली बार इस क्षेत्र से महिला प्रत्याशी लीनव राठिया को उतारने से जीत की संभावना बढ़ सकती है.
- खल्लारी- खल्लारी विधानसभा क्षेत्र में साहू फेक्टर बीजेपी को जीत दिला सकता है इस क्षेत्र में साहू समाज के वोटर हार जीत तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं और साहू समाज की महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारने का फैसला कहीं ना कहीं असरदार साबित हो सकता है.
- मोहला मानपुर- यह कांग्रेस की सीट रही है. और बीजेपी इस सीट पर अपनी जीत चाहती है. कंचनमाला भूआर्य को इस सीट के लिए अहम दावेदार माना जा रहा था इसलिए कंचनमाला को जीत की जिम्मेदारी दी गई.
इन्हे दुबारा टिकट देने का कारण-
- भरतपुर सोनहत– इस क्षेत्र से बीजेपी पिछले दो विधानसभा चुनावों से जीत हासिल करती रही है. 2013 के चुनाव में भी चंपा देवी पावले को जीत हासिल हुई थी, लिहाजा बीजेपी ने इस सीट पर एक्सपेरिमेंट ना करते हुए चंपा देवी को ही टिकट देकर सेफ साइड में रहना ज्यादा सही समझा.
- कोंडागांव– बीजेपी इस सीट पर वापसी करना चाहती है क्योंकि 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट पर जीत हासिल की थी. हालाकि 2003 और 2008 के विधानसभा चुनाव में लता उसेंडी ने यहां से चुनाव जीता था. अब देखना दिलचस्प होगा कि जनता लता उसेंडी को फिर से सत्ता का सुख देगी या नहीं.
- डोंगरगढ़– यह सीट बीजेपी के लिए काफी अहम मानी जाती है और इस क्षेत्र पर बीजेपी की पकड़ मजबूत भी है. 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से सरोजनी बंजारे की जीत हुई थी लिहाजा बीजेपी ने एक बार फिर डोंगरगढ़ की सत्ता पर सरोजनी को ही रखने का फैसला करते हुए दुबारा टिकट दिया.
- सारंगढ़– सारंगढ़ से केराबाई को टिकट देने का एक बड़ा कारण यह था कि 2008 में कांग्रेस ने इस सीट पर अपना कब्जा कर लिया था लेकिन 2013 के चुनाव में केराबाई ने फिर से इस सीट पर बीजेपी को जीत दिलाई, इसलिए आलाकमान ने भी केराबाई को फिर से मैदान पर उतारा.
- भटगांव– भटगांव सीट पर बीजेपी की पकड़ रही है 2008 के विधानसभा चुनाव में रविशंकर त्रिपाठी को इस सीट से जीत हासिल हुई थी लेकिन 2010 में उनकी मृत्यु हो गई. इस सीट पर उपचुनाव हुए जिसमें उनकी पत्नी रजनी त्रिपाठी ने भारी मतों से कांग्रेस प्रत्याशी को हराया था. इस लिहाज से रजनी त्रिपाठी की लोकप्रियता को देखते हुए उन्हे फिर से क्षेत्र में उतारने का फैसला किया गया.
गौरतलब है कि पिछली बार 2013 के विधानसभा चुनाव में 90 सीटों पर 10 महिला प्रत्याशियों को चुनावी दंगल में उतारा गया था. इस बार 77 सीटों पर 14 महिला प्रत्याशियों को टिकट दी गई है माना जा रहा है कि बची हुई सीटों पर और महिला प्रत्याशियों को टिकट दी जा सकती है. अब इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं को चुनावी अखाड़े में उतारना बीजेपी के लिए कितना सार्थक सिद्ध होगा ये तो परिणाम ही बताएंगे.