संजीव कुमार शर्मा, कोंडागांव। पॉलिथीन के टैंट, न स्नानागार, न शौचालय. नक्सलियों के खौफ की वजह से 10 साल पहले अपना घर छोड़ आए 8 परिवार के 45 सदस्य परिवार खानबदोश से भी बदतर जीवन जी रहे हैं.
बस्तर में नक्सलियों के तांडव और अत्याचार की वजह से पिछले करीब 11 वर्षों से अपनी सैकड़ों एकड़ खेती छोड़कर पुलिस क्वाटर के बीच खुले मैदान में पॉलिथीन लगाकर रह रहे 8 परिवारों के 45 सदस्य झेल रहे हैं. पॉलिथीन ढंक कर नहा रहे, तो शौच के लिए मैदान जा रहे हैं. ये नजारा शहर के अंदर का है. पिछले 11 साल से इन परिवारों की सुध लेने की किसी ने नहीं सोची. लेकिन अब इनके दिन फिरने वाले हैं. अब जल्द ही प्रशासन उनकी सुध लेगा.
दरअसल सोमवार को लल्लूराम डॉट कॉम ने एक खबर चलाई थी. जिसके बाद अब प्रशासन की नींद खुली है. कोंडागांव कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा ने कहा कि नक्सली हिंसा के शिकार हुए लोगों को हर मुलभूत सुविधा प्रदान करना हमारी पहली प्राथमिकता है.
पीड़ितों को उपलब्ध कराया जाएगा मकान
कलेक्टर ने कहा कि 8 परिवार 45 लोगों के शहर के अंदर ही प्रधानमंत्री आवास के तहत पक्के मकान उपलब्ध करवाए जाएंगे. साथ ही भवन तैयार होने तक उनके लिए फिलहाल वर्ममान में जहां वे रह रहे हैं, वहीं पर पेयजल और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने के लिए नगर पालिका कोंडागांव को निर्देश किया जा चुका है.
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कबाड़ हो रहे चलित शौचालय
नक्सल पीड़ित इन ग्रामीणों की हालत ये है कि इनके पास पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है. शौचालय के लिए भी ये खुले में जाने को मजबूर हैं. और तो और शहर में 30 से ज्यादा जो शौचालय संचालित थे, वो भी कबाड़ हो रहे हैं. चलित शौचालय के लिए स्पलायर को 6 करोड से ज्यादा का भुगतान भी किया जा चुका है. कोई उपयोग ना होने से सप्लायर्स उन्हें खाली जगह में ही छोड़ गए हैं. जो अब कबाड़ हो रहे हैं.
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