रायपुर। कोविड -19 के चलते रोजाना होने वाले ब्लड डोनेशन में भारी गिरावट आई है, जिसके चलते अस्पतालों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसी स्थिति से जूझ रहे मरीजों के लिए बालको मेडिकल सेंटर के डॉक्टरों के साथ नर्सिंग, पैरामेडिकल और एडमिन स्टाफ ने रक्तदान किया.

हर कुछ सेकंड्स में किसी न किसी को कहीं न कहीं रक्त चढ़ाने की आवश्कता पड़ती है. पर्याप्त रक्त सप्लाई जनता के स्वास्थ्य के लिए परम आवश्यक है हमारे देश में रक्त की ज़रुरत एवं सप्लाई के बीच पहले से ही एक बहुत बड़ा अंतर रहा है | हर साल हमारे देश में लगभग 11 मिलयन यूनिट ही रक्तदान होता है जबकि साल में लगभग 13 मिलयन यूनिट ब्लड की आवश्कता होती है.

नवा रायपुर स्थित बालको मेडिकल सेंटर ट्रांसफ्यूज़न मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. नीलेश जैन बताते हैं कि थालेसेमिया, सिकल सेल, अनेमिया, ब्लड कैंसर, अप्लास्टिक अनेमिया सहित कई बीमारियों में हमेशा ही ब्लड ट्रांसफ्यूज़न की आवश्कता होती है. लेकिन कोविद -19 के चलते रोजाना होने वाले ब्लड डोनेशन में भारी गिरावट आई है, जिससे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

डॉ. जैन बताते है कि रक्तदान से नावेल कोरोना वायरस नहीं फैलता है, इसीलिए पूरी तरह से स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकता है. ब्लड बैंक भी कोविद -19 प्रोटोकॉल का पलान करते हुये सामाजिक दूरी बनाकर एवं यूनिवर्सल प्रिकॉशन को अपनाते हुए विशेष डोनेशन की पूरी व्यवस्था कर सकते हैं, जिससे ब्लड की आपूर्ति को सुनिश्चित किया जा सके.

उन्होंने बताया कि बालको मेडिकल सेंटर के कुछ मरीजों को प्लेटलेट की अत्यंत आवश्कता थी, जिसके लिए बीएमसी के डॉक्टर, नर्सिंग, पैरामेडिकल और एडमिन स्टाफ ने कोविद -19 प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करते हुए रक्तदान किया.