काठमांडू. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली एक बार फिर पीएम रूप में नियुक्त हो गए हैं. नेपाल की राष्ट्रपति विद्या भंडारी ने नेपाल की संविधान के तहत सबसे बड़े दल के नेता होने के कारण ओली को प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किया है. नेपाल की संसद में विश्वास का मत हारने के बाद राष्ट्रपति ने गठबंधन की सरकार बनाने के लिए तीन दिन का समय दिया था, लेकिन नेपाल की विपक्षी पार्टियों की तमाम कोशिश के बावजूद बहुमत जुटाने में नाकाम रहे.

प्रधानमंत्री बनें केपी शर्मा ओली

नेपाल में सोमवार को हुए विश्वास प्रस्ताव के दौरान कुल 232 सदस्यों ने मतदान किया था, जिनमें से 15 सदस्य तटस्थ रहे. ओली को 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में विश्वासमत जीतने के लिए 136 मतों की जरूरत थी. चार सदस्य इस समय निलंबित हैं. हालांकि उन्हें सिर्फ 93 वोट मिले थे.  वह बहुमत साबित नहीं कर सके थे. इसके बाद संविधान के आधार पर उनका PM पद चला गया था.

गठबंधन की सरकार के लिए तय समय सीमा आज रात 9 बजे समाप्त होने के साथ ही राष्ट्रपति भंडारी ने संविधान की धारा 76(3) के तहत सबसे बडे दल के रूप में नियुक्त किया है. केपी ओली कल यानि कि शुक्रवार की दोपहर को 2:30 बजे शपथग्रहण लेंगे. ओली को सदन में विश्वास का मत हासिल करने के लिए 30 दिनों का समय मिलने वाला है.

बता दें कि नेपाल की प्रमुख विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस, माओवादी और जनता समाजवादी पार्टी अगर एकजुट रहती तो ओली के खिलाफ बहुमत आसानी से जुट सकता था, लेकिन ओली के बिछाए जाल में विपक्षी पार्टियां इस कदर उलझ गई कि वो ना तो विपक्षी एकता ही बचाने में कामयाब हो पाई और ना ओली को सत्ता से बेदखल ही कर पाई.

read more- Corona Horror: US Administration rejects India’s plea to export vaccine’s raw material

दुनियाभर की कोरोना अपडेट देखने के लिए करें क्लिक