अरविंद मिश्रा, बलौदाबाजार। कुछ वर्षों से लोगों की पशुपालन के प्रति रूझान घटने लगी है. इस रुझान में रोक लगाए जाने के साथ प्रेरित करने के लिए छ्तीसगढ़ सरकार ने गोधन न्याय योजना की शुरूआत की है, इससे लोगों को आर्थिक लाभ तो मिलेगा ही बल्कि जैविक कृषि को बढ़ावा मिलेगा तथा रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी आएगी. इसे शासकीय योजना के बजाए जनांदोलन बनाया जाना आवश्यक है. यह बात कृषक कल्याण परिषद के नवनियुक्त अध्यक्ष सुरेन्द्र शर्मा ने अपने प्रवास के दौरान पत्रकारों से चर्चा में कही.
सुरेंद्र शर्मा ने अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दिए जाने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कृषि मंत्री रविंद्र चौबे का आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा किसानों के हित में कारगर योजना बनाना और चलाए जा रहे कल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीके से हो रहा है या नहीं इसकी मॉनिटरिंग करना कृषक कल्याण परिषद का दायित्व है.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट नरवा, गरूवा, घुरूवा, बारी एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके माध्यम से किसानों की आर्थिक समृद्धि के साथ वातावरण को शुद्ध बनाए रखने में मददगार साबित होगा. उन्होंने कहा कि राज्य में अभी वर्तमान में किसान केवल धान उत्पादन कर रहे हैं, उसके बजाए दलहन , तिलहन ,सब्जी , मशाले आदि के उत्पादन पर भी शासन द्वारा फोकस किया जा रहा है.
वनों से बंदरों के दल गांव एवं शहर की तरफ आ रहे हैं, इस पर रोकथाम के लिए जंगलों में बंदरों के भोज्य पदार्थ वाले फलदार पौधे लगाए जाने के सुझाव के संबंध में भी शासन का ध्यान आकृष्ट किए जाने की बात कही. चर्चा के दौरान कृषक कल्याण परिषद के अध्यक्ष के साथ जिला कांग्रेस अध्यक्ष हितेन्द्र ठाकुर, समाज सेवी संदीप पाण्डेय, नगर पंचायत उपाध्यक्ष ऋत्विक मिश्रा, युंका जिलाध्यक्ष मानस पाण्डेय, विधानसभा अध्यक्ष चन्दन साहू, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष अशोक यादव, महामंत्री नीरेन्द्र क्षत्रिय, किसान समिति के अध्यक्ष अरविंद मिश्रा, कार्यकारी अध्यक्ष जीत राम यादव, पार्षद रामखिलावन डहरिया विशेष रूप से उपस्थित थे.