उज्जैन। उज्जैन मध्य प्रदेश का एक ऐसा ऐतिहासिक शहर है, जिसका नाम भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में विशेष महत्व रखता है। यह वही पवित्र भूमि है जहां पर भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी शिक्षा ग्रहण की थी। सांदीपनि आश्रम, उज्जैन का वह स्थान है, जहां श्रीकृष्ण ने अपने भाई बलराम और मित्र सुदामा के साथ गुरु सांदीपनि से शिक्षा ग्रहण की थी। आज भी इस स्थान पर भक्तों का तांता लगा रहता है। विशेष रूप से जन्माष्टमी के मौके पर यहां की रौनक कुछ अलग ही देखने को मिलती है।
श्रीकृष्ण की शिक्षा और सांदीपनि आश्रम का महत्व
सांदीपनि आश्रम का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत बड़ा है। मान्यता है कि, भगवान श्रीकृष्ण ने यहां 64 दिनों में 64 कलाओं में महारत हासिल की थी। गुरु सांदीपनि से शिक्षा प्राप्त करने के बाद ही उन्होंने जीवन के कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। जो आज भी उनके जीवन के प्रेरणास्रोत के रूप में माने जाते हैं। आश्रम का यह प्राचीन स्थान आज भी भक्तों के लिए आध्यात्मिक केंद्र बना हुआ है, जहां लोग श्रीकृष्ण के जीवन के उन पलों को याद करने आते हैं।
जन्माष्टमी की तैयारियां
जन्माष्टमी का पर्व सांदीपनि आश्रम में विशेष उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस साल जन्माष्टमी के मौके पर उज्जैन और सांदीपनि आश्रम में भव्य तैयारियां की जा रही हैं। आश्रम को रंग-बिरंगी रोशनियों से सजाया गया है, और हर ओर भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की झलकियां दिखाई जा रही हैं। सांदीपनि आश्रम के मुख्य द्वार से लेकर मंदिर परिसर तक को फूलों और दीपों से सजाया गया है।
इस बार विशेष रूप से श्रीकृष्ण की शिक्षा के महत्वपूर्ण पहलुओं पर आधारित एक प्रदर्शनी भी लगाई गई है, जिसमें श्रीकृष्ण के जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों को चित्रों और मूर्तियों के माध्यम से दिखाया गया है। इस प्रदर्शनी का उद्देश्य लोगों को श्रीकृष्ण के जीवन से प्रेरणा देना और उनकी शिक्षा के महत्व को उजागर करना है।
भक्तों की उमड़ती भीड़ और सुरक्षा के इंतजाम
जन्माष्टमी के मौके पर सांदीपनि आश्रम में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इस बार भी लाखों की संख्या में भक्तों के आने की उम्मीद है। इसके मद्देनजर प्रशासन ने सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए हैं। पुलिस बल और सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है ताकि किसी भी तरह की अनहोनी से बचा जा सके। आश्रम परिसर में जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।
धार्मिक अनुष्ठान और विशेष पूजा
जन्माष्टमी के अवसर पर सांदीपनि आश्रम में विशेष धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जा रहा है। यहां परंपरागत रूप से मध्यरात्रि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा, जिसके लिए विशेष पूजा, भजन-कीर्तन और आरती का आयोजन किया गया है। भक्तगण इस अवसर पर व्रत रखते हैं और श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का स्मरण करते हैं।
सांदीपनि आश्रम के पुजारी जी ने बताया कि इस बार विशेष रूप से ‘मधुबनी पेंटिंग्स’ के जरिए भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को दर्शाया गया है, जिसे भक्तगण बड़े उत्साह से देख रहे हैं। साथ ही, आश्रम में श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई कहानियों और उनकी शिक्षा पर आधारित पुस्तकें भी वितरित की जा रही हैं।
श्रीकृष्ण की शिक्षा का संदेश
भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि हजारों साल पहले था। उनकी शिक्षा ने जीवन जीने का मार्गदर्शन दिया और सत्य, धर्म और कर्म के महत्व को समझाया। जन्माष्टमी के इस अवसर पर सांदीपनि आश्रम न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि एक ऐसा स्थान भी है, जो हमें श्रीकृष्ण की शिक्षा और उनके जीवन के आदर्शों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है।
इस जन्माष्टमी, उज्जैन का सांदीपनि आश्रम एक बार फिर से भक्तों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बना हुआ है, जहां हर भक्त अपने आराध्य भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में अपने श्रद्धा और भक्ति को समर्पित करने के लिए आतुर है।
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