दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित एक निजी स्पेशलिटी अस्पताल के OPD वार्ड में, नृत्य-चिकित्सा पहल ‘नृत्यामृत’ की संस्थापक शांभवी शर्मा ने एक विशेष नृत्य सत्र का आयोजन किया, जिससे मरीजों और उनके परिजनों को एक नया अनुभव प्राप्त हुआ. शांभवी, जो शास्त्रीय नृत्य के माध्यम से मानसिक और भावनात्मक उपचार पर कार्य कर रही हैं, ने इस सत्र में कुचिपुड़ी नृत्य की एक शानदार प्रस्तुति दी. उन्होंने यह नृत्य अपने पूज्य गुरुओं, पद्मभूषण से सम्मानित श्री राजा और राधा रेड्डी से सीखा है.

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अस्पताल के OPD वार्ड में मरीजों के लिए डांस

इस अवसर पर शांभवी ने बताया कि प्रस्तुति के दौरान अस्पताल का माहौल पूरी तरह से बदल गया. जैसे ही उन्होंने डांस करना शुरू किया, उन्हें महसूस हुआ कि वार्ड की ऊर्जा में एक सकारात्मक परिवर्तन आया है. वहां एक जिज्ञासा के साथ-साथ एक ठहराव और शांति का अनुभव हुआ, जो शायद मरीजों के लिए अत्यंत आवश्यक था. मरीजों ने भी इस सत्र को एक विशेष अनुभव बताया. श्रीमती टीना ने साझा किया कि वह तनाव और पीड़ा में थीं, लेकिन डांस देखने के बाद उनकी पीड़ा जैसे दूर हो गई. अब वह अधिक शांत और हल्का महसूस कर रही हैं.

मरीजों को मानसिक और भावनात्मक शांति मिली

श्रीमती तान्या ने यह सुझाव दिया कि अस्पताल में ऐसे सत्रों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए, क्योंकि ये मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं. नृत्यामृत के माध्यम से शांभवी पारंपरिक भारतीय कला को चिकित्सा के साथ जोड़ रही हैं, जिससे नृत्य केवल एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक संतुलन का एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है.

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‘नृत्यमृत’ की पहल

शाम्भवी शर्मा, जो बेतिया की निवासी हैं, ने कुचिपुड़ी नृत्य को एक नई दिशा दी है. उनके लिए यह नृत्य केवल एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि लोगों के मन और आत्मा को सुकून प्रदान करने का एक माध्यम है. उन्होंने पद्मश्री गुरु राजा राधा रेड्डी से नौ वर्षों तक गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया और इसके बाद अपनी पहल ‘नृत्यमृत’ की शुरुआत की. इस पहल का उद्देश्य शास्त्रीय नृत्य के माध्यम से लोगों के भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारना है. शाम्भवी का मानना है कि नृत्य केवल शारीरिक गतिविधि नहीं, बल्कि यह भावनाओं और आत्मा की अभिव्यक्ति है. इसी दृष्टिकोण के साथ, वह बच्चों, रोगियों और जरूरतमंदों के बीच जाकर उन्हें नृत्य के जरिए आत्म-संयोग सिखाती हैं, जिससे वे मानसिक और भावनात्मक शांति का अनुभव करते हैं.

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डांस मन को सुकून देता है

शाम्भवी का मानना है कि नृत्य उनके लिए खुशी का स्रोत है. जब भी वह निराश होती हैं, कुचिपुड़ी डांस उन्हें मानसिक सुकून प्रदान करता है. उन्होंने बताया कि इस कला के प्रति प्रेरणा उन्हें अपने पिता से मिली, और अब यह नृत्य उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है. शाम्भवी भविष्य में अपनी पढ़ाई के साथ-साथ इस नृत्य को भी जारी रखना चाहती हैं, ताकि वह लोगों को खुशी दे सकें. वर्तमान में, वह दिल्ली में पढ़ाई कर रही हैं और अपनी पहल ‘नृत्यमृत’ के माध्यम से लोगों को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर रही हैं. इसके अतिरिक्त, शाम्भवी का सपना है कि वह अपने माता-पिता की तरह प्रशासनिक सेवा में जाएं.